"गौतम बुद्ध के महालक्षण": अवतरणों में अंतर

बुद्ध के जन्म का प्रतीक ,घोडा
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दीपोत्सव
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३२ उण्हीससीसो (उष्णीष शीर्ष)
 
==सुमिरो रे भवानी हे महामाया ,कोलिय देश जन्मिव हे देवी ,कपिलवस्तु बसलिव हे माया ..सुमिरो रे भवानी हे महामाया ,रहलिव सुप्रबुद्ध की दुलारी रे महामाया .....इस बोल से ही दलित लोग देवी का कीर्तन गाते है इस कीर्तन गीत को एक पुरुष साडी पहन करके नाचता है अन्य लोग मृदंग नुपुर और कई वाद्ययंत्र बजा करके नृत्य करते गाते है देवी को धार और लप्सी पूडी पंच मेवा आदि चढाते है साथ ही नये फसल धान पर चावल का भोजन और गेहूँ के समय लप्सी पूडी चढाते है साथ ही भगवान बुद्ध के जन्म का प्रतीक सफेद कमल पुष्प (कोईयां) और महामाया के गर्भ का प्रतीक काले रंग से रंगी मिट्टी की बनी हाथी चढाते है गावों मे भगवान बुद्ध के गृहत्याग का प्रतीक मिट्टी की बनी घोडे के समीप जेवनार (खीर) चढाते है प्राचीन काल मे यहां के लोग धान को धन (सम्प्रदा )समझते थे खेत से जब रासि घर लाकर भंडार कर लेते थे तब महामाया देवी के सम्मान मे दीपक जलाते थे ==
*[[लक्षण|क्षण]]