"रोशन सिंह": अवतरणों में अंतर

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कान्तिकारी ठाकुर रोशन सिंह का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] जनपद में [[फतेहगंज]] से १० किलोमीटर दूर स्थित [[गाँव]] नबादा में २२ जनवरी १८९२ को हुआ था। आपकी [[माता]] जी का नाम कौशल्या देवी जी एवं [[पिता]] जी का ठाकुर जंगी सिंह जी था। पूरा परिवार [[आर्य समाज]] से अनुप्राणित था। आप पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। [[असहयोग आन्दोलन]] में उत्तर प्रदेश के [[शाहजहाँपुर]] और [[बरेली]] जिले के ग्रामीण क्षेत्र में आपने अद्भुत योगदान दिया था। यही नहीं, [[बरेली]] में हुए गोली-काण्ड में एक पुलिस वाले की रायफल छीनकर जबर्दस्त फायरिंग शुरू कर दी थी जिसके कारण हमलावर [[पुलिस]] को उल्टे पाँव भागना पडा। मुकदमा चला और श्री ठाकुर रोशन सिंह को सेण्ट्रल जेल [[बरेली]] में दो साल वामशक्कत कैद (Rigorous Imprisonment) की सजा़ काटनी पडी़ थी।
 
== श्री बिस्मिल के सम्पर्क में ==
[[बरेली]] गोली-काण्ड में सजायाफ्ता रोशन सिंह की भेंट सेण्ट्रल जेल बरेली में [[कानपुर]] निवासी पंडित रामदुलारे त्रिवेदी से हुई जो उन दिनों [[पीलीभीत]] में शुरू किये गये [[असहयोग आन्दोलन]] के फलस्वरूप ६ महीने की सजा भुगतने [[बरेली]] सेण्ट्रल [[जेल]] में रखे गये थे। [[गान्धी]] जी द्वारा सन १९२२ में हुए [[चौरी चौरा]] काण्ड के विरोध स्वरूप [[असहयोग आन्दोलन]] वापस ले लिये जाने पर पूरे [[हिन्दुस्तान]] में जो प्रतिक्रिया हुई उसके कारण ठाकुर साहब ने भी राजेन्द्र नाथ लाहिडी़, रामदुलारे त्रिवेदी व सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य आदि के साथ [[शाहजहाँपुर]] शहर के [[आर्य समाज]] पहुँच कर [[राम प्रसाद बिस्मिल]] से गम्भीर मन्त्रणा की जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित कोई बहुत बडी क्रान्तिकारी पार्टी बनाने की रणनीति तय हुई। इसी रणनीति के तहत ठाकुर रोशनसिंह को पार्टी में शामिल किया गया था। ठाकुर साहब पक्के निशानेबाज (Clay Pigeon Shooting Expert) थे यहाँ तक कि उडती हुई चिडिया को खेल-खेल में ही मार गिराते थे।