"रोशन सिंह": अवतरणों में अंतर

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== काकोरी काण्ड का मुकदमा ==
९ अगस्त १९२५ को [[काकोरी]] स्टेशन के पास जो सरकारी खजानाखजा़ना लूटा गया था उसमें श्री ठाकुर रोशन सिंह शामिल नहीं थे, यह हकीकत है किन्तु इन्हीं की आयु (३६ वर्ष) के श्री केशव चक्रवर्ती (छद्म नाम), जरूर शामिल थे जो बंगाल की अनुशीलन समिति के सदस्य थे, फिर भी पकडेपकडे़ बेचारेश्री रोशन सिंह गये। चूकि श्री रोशन सिंह बमरौली डकैती में शामिल थे ही और इनके खिलाफ सारे [[साक्ष्य]] भी मिल गये थे अत: [[पुलिस]] ने सारी शक्ति श्री ठाकुर रोशन सिंह को फाँसी की सजासजा़ दिलवाने में ही लगा दी और श्री केशव चक्रवर्ती को खो़जने का कोई प्रयास ही नहीं किया। सी०आई०डी० के कप्तान खानबहादुर तसद्दुक हुसैन
श्री [[राम प्रसाद बिस्मिल]] पर बार-बार यह दबाव डालते रहे कि श्री बिस्मिल किसी भी तरह अपने दल का सम्बन्ध [[बंगाल]] के अनुशीलन दल या [[रूस]] की बोल्शेविक पार्टी से बता दें परन्तु श्री बिस्मिल टस से मस न हुए। आखिरकार श्री रोशन सिंह को दफा १२० (बी) और १२१(ए) के तहत ५-५ वर्ष की बामशक्कत कैद और ३९६ के अन्तर्गत सजाये-मौत अर्थात् [[फाँसी]] की सजा दी गयी। इस फैसले के खिलाफ जैसे अन्य सभी ने उच्च न्यायालय, वायसराय व सम्राट के यहाँ अपील की थी वैसे ही श्री रोशन सिंह ने भी अपील की; परन्तु नतीजा वही निकला- ढाक के तीन पात।
 
== फाँसी से पूर्व लिखा खत ==