"दशहरा": अवतरणों में अंतर

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{{आज का आलेख}}{{ज्ञानसन्दूक त्योहार |
त्योहार_के_नाम = दशहरा
|चित्र = TYPICAL Dussehra Celebrations 02 Oct 2006.jpg
|शीर्षक = [[रावण]] एवं [[मेघनाद]] के पुतले
|आधिकारिक_नाम = दशहरा
|अन्य नाम = विजयादशमी, बिजोया, आयुध पूजा
|अनुयायी = [[हिन्दू धर्म|हिन्दू]], [[भारतीय]]
|उद्देश्य = धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन
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|type =<!--DO NOT CHANGE! THIS CONTROLS COLOUR-->hindu<!--DO NOT CHANGE! THIS CONTROLS COLOUR-->
}}
[https://www.bharatsanket.co.in/2019/10/Dussehra.html?m=1 '''दशहरा''' ('''विजयादशमी''' या '''आयुध-पूजा''')] [[हिन्दु]]ओं का एक प्रमुख [[त्योहार]] है। [[अश्विन]] (क्वार) मास के [[शुक्ल पक्ष]] की [[दशमी]] [[तिथि]] को इसका आयोजन होता है। भगवान [[राम]] ने इसी दिन [[रावण]] का वध किया था तथा देवी [[दुर्गा]] ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त [[महिषासुर]] पर [[विजय]] प्राप्त किया था। इसे असत्य पर [[सत्य]] की [[विजय]] के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस [[दशमी]] को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है (दशहरा = दशहोरा = दसवीं तिथि)। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ [[तिथि|तिथियों]] में से एक है, अन्य दो हैं [[चैत्र]] [[शुक्ल]] की एवं [[कार्तिक]] [[शुक्ल]] की [[प्रतिपदा]]।
 
इस दिन लोग [[शस्त्र]]-[[पूजा]] करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं (जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, [[बीज]] बोना आदि)। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। प्राचीन काल में [[राजा]] लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह [[मेला|मेले]] लगते हैं। '''[[रामलीला]]''' का आयोजन होता है। [[रावण]] का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान [[राम]] की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा [[दुर्गा पूजा]] के रूप में, दोनों ही रूपों में यह [[शक्ति]]-[[पूजा]] का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। [[भारतीय संस्कृति]] वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।<ref name = "विप्र वार्ता">
{{cite web |url= http://www.vipravarta.org/%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%A3%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%A6%E0%A4%B6%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE|title= सद्प्रेरणा का पर्व दशहरा|access-date= १९ अक्तूबर २००७ |format= एचटीएम|work= |author= राजकुमार दूबे|last= |first= |authorlink= |publisher= विप्र वार्ता|pages= ०२|language= }}</ref>दशहरा पर्व
 
 
== महत्त्व ==
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इस पर्व को भगवती के 'विजया' नाम पर भी 'विजयादशमी' कहते हैं। इस दिन भगवान [[राम|रामचंद्र]] चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा [[रावण]] का वध कर [[अयोध्या]] पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को 'विजयादशमी' कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि [[आश्विन]] [[शुक्ल]] [[दशमी]] को तारा उदय होने के समय 'विजय' नामक [[मुहूर्त]] होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं।
 
ऐसा माना गया है कि शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी समय प्रस्थान करना चाहिए। इस दिन [[श्रवण नक्षत्र]] का योग और भी अधिक [[शुभ]] माना गया है। युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल में राजाओं (महत्त्वपूर्ण पदों पर पदासीन लोग) को सीमा का उल्लंघन करना चाहिए। [[दुर्योधन]] ने [[पांडव|पांडवों]] को जुए में पराजित करके बारह वर्ष के वनवास के साथ तेरहवें वर्ष में अज्ञातवास की शर्त दी थी। तेरहवें वर्ष यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुनः बारह वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में [[अर्जुन]] ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वृहन्नला वेश में राजा [[विराट]] के यहँ नौकरी कर ली थी। जब गोरक्षा के लिए [[विराट]] के पुत्र [[उत्तरधृष्टद्युम्न]] ने [[अर्जुन]] को अपने साथ लिया, तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपने हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। विजयादशमी के दिन भगवान रामचंद्रजी के लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने भगवान की विजय का उद्घोष किया था। विजयकाल में शमी पूजन इसीलिए होता है।
[[चित्र:Dashai.jpg|right|thumb|300px|[[नेपाल]] में विजयादशमी के दिन बड़ों के सामने नतमस्तक होकर उनका [[आशीर्वाद]] लेने की परम्परा है।]]
=== टीका टिप्पणी ===
"https://hi.wikipedia.org/wiki/दशहरा" से प्राप्त