"धर्म (पंथ)": अवतरणों में अंतर

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धर्म की सच्चाई
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पंथ और संप्रदाय में अंतर करते हुए [[विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र]] मानते हैं कि पंथ वह है जिसमें विचार भले ही प्राचीन हों किन्तु आचार नया हो। भक्तिकालीन संतों की शिक्षाओं को आचार से जोड़ते हुए पंथ निर्माण की आरंभिक अवस्था का वर्णन करते हुए वे लिखते हैं कि, ''"ये संत बातें तो वे ही कहते थे जो प्राचीन शास्त्रों में पहले ही कही जा चुकीं हैं, किंतु पद्धति अवश्य विलक्षण थी। केवल आचार की नूतनता के कारण ही ये पंथ कहलाते हैं, संप्रदाय नहीं।"''<ref>वाङ्मय विमर्श, [[विश्वनाथ प्रसाद मिश्र]], [[वाणी प्रकाशन]], संवत २0३५, पृष्ठ- २४२-४३</ref> पंथ की स्थापना के लिए कुछ नियम उपनियम बनाये जाने भी आवश्यक होते हैं।<ref>कबीर और कबीर पंथ, डॉ॰ केदार नाथ द्विवेदी, [[हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग]], प्रथम संस्करण, १९६५, पृष्ठ- १६१</ref>
 
प्रचीन धर्मो की विश्व उत्पत्ति अंत आकार संचालन का नियम व परमात्मा व महात्मा का स्वरूप भिन्न भिन्न है इसलिए ये पूरी तरह से लोगों के मन की कल्पना है जिसकी जो कल्पना उसका वह धर्म है ।
 
हिन्दू  === में परमात्मा के तीन प्रमुख स्वरूप है शिव विष्णु ब्राम्हा और इनमें ब्राम्हा ने विश्व बनाया है ।
 
जैन ===हिन्दू धर्म की मान्यता पर आधारित है परमात्मा चौबीस तीर्थकर है और यहां विश्व कभी नहीं बना है
 
हिन्दू जैन धर्म के मिथ्क के सच होने के प्रमाण  सिर्फ भारत तक सीमित है जैसे तीर्थकरो के जन्म स्थान देवी देवता के कथा के घटना स्थल ।
 
बौध्द धर्म == ये परमात्मा नहीं महात्मा को ही सर्वोपरि मानते है पश्चात संस्कृति और भारत के लोग प्रायः गौतम बुद्ध तक ही सीमित है जबकि बौध्द धर्म में मौलिक बुध्द लाॅफिंग बुध्द अमितय बुध्द मिलारेपा अनंत बुध्द जैसे सैकड़ों बुध्द है इनमें विश्व की उत्पत्ति कभी नहीं हुई है व इसका  अंत कभी नहीं होगा कहा गया है ।
 
झेन == पूरी तरह से बौध्द धर्म के विचारों पर आधारित है ।
 
शिंतो == कामी ही सर्वोपरि शक्ति है जिसने दुनिया बनाई ।
 
ताओ == यिंग यांग देवी देवता ही सर्वोच्च शक्ति है ।
 
कन्फ्यूजीयशी ==परमात्मा के बारे में नहीं जीवन जीने के लिए अधिक विचार दिये है ।
 
बौध्द झेन शिंतो ताओ कन्फ्यूजीयशी के कथाओ के घटना स्थल चीन जापान कोरिया थाईलैंड कम्बोडिया आदि पूर्वी एशिया  में है ।
 
पारसी == अंगिरा मज्दा ही परमात्मा उसने ही दुनिया बनाई है ।
 
यहूदी == यहोवा ही ने दुनिया बनाई है वही परमात्मा है ।
 
क्रिश्चियन == गाॅड फादर ही परमात्मा है उसी ने दुनिया बनाई है ।
 
मुस्लिम == आल्लहा ने दुनिया बनाई है वही परमात्मा है ।
 
पारसी यहूदी क्रिश्चियन मुस्लिम के कथाओं के घटना स्थल अफगानिस्तान पाकिस्तान इजरायल  यूरोप अफ्रीका में है ।
 
पारसी यहूदी क्रिश्चियन मुस्लिम में नकारात्मक शक्ति है जो उनके परमात्मा के स्वरूप में मात्र थोड़ा ही कमजोर है ।
 
सिख धर्म == परमात्मा वाहे गुरू है जो निर्गुण निराकार है ये धर्म हिन्दू मुस्लिम की एकता के ऊपर है इसके घटना कर्म पाकिस्तान पंजाब कश्मीर महाराष्ट्र तक अधिक है ।
 
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ये धर्म ऐसी कल्पना है जिसके सच होने के प्रमाण दुनिया में है जैसे इनके कथा के प्रचीन प्रर्थना स्थल इनके इमारत जो मनुष्य जिस धर्म का अनुयायी है उसके लिए विश्व उत्पत्ति अंत आकार संचालन का नियम व परमात्मा व महात्मा का स्वरूप वैसा ही है ।
 
धर्म के साथ प्रचीन सभ्यता सुमेरू सभ्यता माया सभ्यता  इंका सभ्यता पीली नदी सभ्यता मिस्र की सभ्यता सिन्धु घाटी सभ्यता सब एक कथा है ये कहनी है जिनके सच होने के प्रमाण है इसी प्रकार प्रचीन साम्राज्य विक्रमादित्य  मौर्य चोला सिंकन्दर चंगेज खान झाऊ वंश मुगल साम्राज्य मराठा साम्राज्य के राजा महाराजा की कहानी भी मन की कल्पना है ।
 
इसलिए प्रचीन धर्म सभ्यताएं व साम्रज्य को आत्मिक जगत की घटनाएं या फिर परिकल्पना कहते है ।
 
इसी प्रकार आदिवासियों के कई जाति में विश्व उत्पत्ति अंत आकार संचालन का नियम व परमात्मा के विभिन्न स्वरूप है जो पूरी तरह से उन आदिवासीयों के मन की परिकल्पना है प्रायः आदिवासी हिन्दू बौध्द मुस्लिम क्रिश्चियन धर्म के अनुयायी है ।
 
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विज्ञान के नियमों के अनुसार विश्व उत्पत्ति अंत आकार संचालन का नियम पूरी तरह से भ्रमित सिध्दान्त है जैसे धर्म असत्य है वैसा ही विज्ञान असत्य है कही परग्रही नहीं है कभी आदिमानव नहीं थे कभी डायनासोर नहीं थे वह सब भ्रमित घटनाएं है जिसके सच होने के प्रमाण है ।
 
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वास्तविक सत्य == यहां विश्व ना कभी बना है ना कभी खत्म होगा पृथ्वी पूरी तरह से स्थिर है चांद सूर्य तारे ग्रह   होते हुऐ भी नहीं है  कही स्वर्ग नरक नहीं यहाँ पृथ्वी ही विश्व है धर्मो के परमात्मा लोगों के मन की परिकल्पना है और उसकी कथा लोगों के मन की मनगढ़ंत कहनी है जिसका जो धर्म उसके लिए वही कहनी सत्य है ।
 
यहाँ विश्व एक खरब वर्षों के समय चक्र में गतिमान है जिसमें लौह ताम्र रजत स्वर्ण युगों में गतिमान है जिसमें सभी मनुष्यों के एक अरब जन्म है इस विश्व की जनसंख्या प्रन्द्रह अरब है जो सदैव स्थिर रहती है सात अरब स्त्री है सात अरब पुरुष है और एक अरब नपुसंक है जो कभी स्त्री-पुरुष व नपुसंक बनते रहते है ।
 
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==इन्हें भी देखें==
*[[धर्म]] - अपने मूल अर्थ में भारतीय धर्म