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जमात ख़ाँ मस्जिद का निर्माण दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी ने निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह के समीप करवाया था। पूर्णतः इस्लामी शैली में निर्मित इस मस्जिद में लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है। मस्जिद के डाटों के कोने में कमल के पुष्प से मस्जिद में हिन्दू शैली के प्रभाव का आभास होता है। डाटों पर 'क़ुरान' की आयतें भी उत्कीर्ण हैं। जमात ख़ाँ मस्जिद में तीन कमरे बने हैं, जिनमें दो कमरे आयताकार हैं तथा मस्जिद के मध्य भाग में निर्मित कमरा चोकोर है। पूर्णरूप से इस्लामी परम्परा में निर्मित यह भारत क...
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[[श्रेणी:विकिपीडिया सहायता]]जमात ख़ाँ मस्जिद का निर्माण दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी ने निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह के समीप करवाया था। पूर्णतः इस्लामी शैली में निर्मित इस मस्जिद में लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है।
 
मस्जिद के डाटों के कोने में कमल के पुष्प से मस्जिद में हिन्दू शैली के प्रभाव का आभास होता है।
डाटों पर 'क़ुरान' की आयतें भी उत्कीर्ण हैं।
जमात ख़ाँ मस्जिद में तीन कमरे बने हैं, जिनमें दो कमरे आयताकार हैं तथा मस्जिद के मध्य भाग में निर्मित कमरा चोकोर है।
पूर्णरूप से इस्लामी परम्परा में निर्मित यह भारत की पहली मस्जिद है।
ख़िलजी वंश के शासन काल में पूर्णत: निर्मित अन्य निर्माण कार्यों में क़ुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी द्वारा भरतपुर में निर्मित 'ऊखा मस्जिद' एवं ख़िज़्र ख़ाँ द्वारा निर्मित 'निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह' विशेष उल्लेखनीय हैं