"संधि (व्याकरण)": अवतरणों में अंतर

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औ + इ = आव् + इ ; नौ + इक = नाविक
 
स्वर संधि
दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर संधि कहते हैं।
उदाहरण:
हिम + आलय = हिमालय
स्वर संधि पाँच प्रकार की होती हैं:-
दीर्घ संधि
गुण संधि
वृद्धि संधि
यण संधि
अयादि संधि
1. दीर्घ संधि
दीर्घ या ह्रस्व अ, इ, उ के बाद यदि दीर्घ या ह्रस्व अ, इ, उ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई, और ऊ हो जाते हैं, इसे दीर्घ संधि कहते हैं।
उदाहरण:
अ + अ = आ
धर्म+अर्थ = धर्मार्थ, परम+अर्थ = परमार्थ
अ + आ = आ
हिम+आलय = हिमालय, परम+आनंद = परमानंद
आ + अ = आ
विद्या+अर्थी = विद्यार्थी, पुस्तक+आलय = पुस्तकालय
आ + आ = आ
विद्या+आलय=विद्यालय, महा+आशय = महाशय
इ + इ = ई
रवि+इंद्र = रवींद्र, मुनि+इंद्र = मुनींद्र
इ + ई = ई
गिरि+ईश = गिरीश, मुनि+ईश = मुनीश
ई + इ = ई
मही+इंद्र = महींद्र, नारी+इंदु = नारींदु
ई + ई = ई
नदी+ईश = नदीश, मही+ईश = महीश
उ + उ = ऊ
भानु+उदय = भानूदय, विधु+उदय = विधूदय
उ + ऊ = ऊ
लघु+ऊर्मि = लघूर्मि, सिंधु+ऊर्मि = सिंधूर्मि
ऊ + उ = ऊ
वधू+उत्सव = वधूत्सव, वधू+उल्लेख = वधूल्लेख
ऊ + ऊ = ऊ
भू+ऊर्ध्व = भूर्ध्व, वधू+ऊर्जा = वधूर्जा
2. गुण संधि
यदि अ, आ के आगे इ, ई आये तो ए तथा उ, ऊ आये तो ओ एवं ऋ हो तो अर् हो जाता है, इसे गुण संधि कहते हैं।
उदाहरण:
अ + इ = ए नर+इंद्र = नरेंद्र
अ + ई = ए नर+ईश = नरेश
आ + इ = ए महा+इंद्र = महेंद्र
आ + ई = ए महा+ईश = महेश
अ + ई = ओ ज्ञान+उपदेश = ज्ञानोपदेश
आ + उ = ओ महा+उत्सव = महोत्सव
अ + ऊ = ओ जल+ऊर्मि = जलोर्मि
आ + ऊ = ओ महा+ऊर्मि = महोर्मि
अ + ऋ = अर् देव+ऋषि = देवर्षि
आ + ऋ = अर् महा+ऋषि = महर्षि
 
== व्यंजन संधि ==