"अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'": अवतरणों में अंतर
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हरिऔध जी का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[आजमगढ़]] जिले के [[निजामाबाद]] नामक स्थान में हुआ। उनके पिता का नाम पंडित भोलानाथ उपाध्याय था। प्रारंभिक शिक्षा निजामाबाद एवं आजमगढ़ में हुई। पांच वर्ष की अवस्था में इनके चाचा ने इन्हें [[फारसी]] पढ़ाना शुरू कर दिया था।
हरिऔध जी [[निजामाबाद]] से मिडिल परीक्षा पास करने के पश्चात काशी के [[क्वींस कालेज]] में अंग्रेज़ी पढ़ने के लिए गए, किंतु स्वास्थ्य बिगड़ जाने के कारण उन्हें कॉलेज छोड़ना पड़ा। उन्होंने घर पर ही रह कर [[संस्कृत]], [[उर्दू]], [[फ़ारसी]] और [[अंग्रेजी]] आदि का अध्ययन किया और १८८४ में निजामाबाद।
सन १८८९ में हरिऔध जी को सरकारी नौकरी मिल गई। वे कानूनगो हो गए। इस पद से सन १९३२ में अवकाश ग्रहण करने के बाद हरिऔध जी ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के हिंदी विभाग में अवैतनिक शिक्षक के रूप से कई वर्षों तक अध्यापन कार्य किया। सन १९४१ तक वे इसी पद पर कार्य करते रहे। उसके बाद यह निजामाबाद वापस चले आए। इस अध्यापन कार्य से मुक्त होने के बाद हरिऔध जी अपने गाँव में रह कर ही साहित्य-सेवा कार्य करते रहे। अपनी साहित्य-सेवा के कारण हरिऔध जी ने काफी ख़्याति अर्जित की। [[हिंदी साहित्य सम्मेलन]] ने उन्हें एक बार सम्मेलन का सभापति बनाया और विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किया। सन् १९४७ ई० में निजामाबाद में इनका देहावसान हो गया।
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