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यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें।
भारत देश में वैसे तो चौथ माता जी के कही मंदिर स्थित है, लेकिन सबसे प्राचीन एवं सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर [[राजस्थान]] राज्य के [[सवाई माधोपुर]] जिले के [[चौथ का बरवाड़ा]] गाँव में स्थित है। [[चौथ माता]] के नाम पर इस गाँव का नाम बरवाड़ा से [[चौथ का बरवाड़ा]] पड़ गया। चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा [[भीमसिंह चौहान]] ने की थी।
== व्रत की विधि ==
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