"समुदाय": अवतरणों में अंतर

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10. '''भाग्यवादिता एवं अशिक्षा का बाहुल्य !'''<br />
 
# '''कृषि व्यवसाय -''' ग्रामीण अचल में रहने वाले अधिकाधिक ग्रामवासियों का खेती योग्य जमीन पर स्वामित्व होता है, खेती करना और कराना उन्हें परिवार के वयोवृद्व सदस्यों द्वारा प्राप्त होता है यधपि एक ग्रामीण क्षेत्र में कुछ ऐसे भी परिवार होते हैं जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं होती वे लोहारी, सोनारी जैसे छोटे-छोटे उधोग धन्धों में लगे रहते हैं लेकिन उनके भी दिल मे कृशिकृषि के प्रति लगाव होता है तथा महसूस करते हैं कि काश उनके पास भी खेती योग्य जमीन होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि उनमें भूमि के प्रति अटूट श्रद्धा होती है
# '''प्राकृतिक निकटता -''' ग्रामवासियों का मुख्य व्यवसाय कृशि एंव उससे सम्बन्धित कार्य होता है। सभी जानते हैं कि खेती का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है ग्रामीण जीवन प्रकृति पर आश्रित रहता है।
# '''जातिवाद एंव धर्म का अधिक महत्व -''' रूढ़िवादिता एंव परम्परावाद ग्रामीण जीवन के मूल समाज शास्त्रीय लक्षण हैं। फलस्वरुप आज भी हमारे ग्रामीण समुदाय में अिधाकाधिक लोगों की जातिवाद, धर्मवाद में अटूट श्रद्धा है। देखा जाता है कि ग्रामीण निवासी अपने -2 धर्म एवं जाति के बड़पपन में ही अपना सम्मान समझते हैं। ग्रामीण समुदाय में जातियता पर ही पचायतों का निर्माण होता है। ग्रामीण समाज में छुआछुत व संकीर्णता पर विशेष बल दिया जाता है।
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# '''स्त्रियों की निम्न स्थिति -''' ग्रामीण समुदाय की अशिक्षा, अज्ञानता एवं रूढ़ि वादिता का सीधा प्रभाव ग्रामीण स्त्रियों की स्थिति पर पड़ता है। भारतीय ग्रामीण समुदाय में अभी भी अशिक्षा काफी अधिक है। परिणाम स्वरुप ग्रामीण सदस्यों का व्यवहार रुढ़ियों एवं पुराने सामाजिक मूल्यों से प्रभावित होता है। लेकिन आज भी अधिकाधिक ग्रामीण समुदाय में वाल-विवाह, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, लड़कियों को शिक्षा एवं बाहर नौकरी से रोक लगाना, विधवाओं को पुर्नविवाह से वंचित करना आदि सर्वभौमिक दिखार्इ देती हैं। जो स्त्रियों की गिरी दशा के लिए उत्तरदायी है।
# '''धर्म एवं परम्परागत बातों में अधिक विश्वास -''' ग्रामीण लोग धर्म पुरानी परम्पराओं एवं रूढ़ियों में विश्वास करते हैं। तथा उनका जीवन सामुदायिक व्यवहार, धार्मिक नियमों एवं परम्पराओं से प्रभावित होता है। ग्रामीण समुदाय का सीमित क्षेत्र उसे बाहरी दुनिया के प्रभावों से मुक्त रखता है और इसी कारण उसमें विस्तृत दृश्टिकोण भी आसानी से नहीं पनप पाता है।
# '''भाग्यवादिता एवं अशिक्षा का बाहुल्य -''' ग्रामीण समुदाय में शिक्षा का प्रचार-प्रसार अभी भी कम है शिक्षा के अभाव में ग्रामवासी अनेक अन्ध विश्वासों एवं कु-संस्कारो का षिकार बने रहते हैं तथा भाग्यवादिता पर अधिक विश्वास करते हैं। इन उपर्युक्त ग्रामीण विशेषताओं से स्पष्ट है कि परम्परावादिता उनकी सर्वप्रमुख विशेषता है। जैसे-जैसे सरकार एवं स्वंयसेवी संगठनों के प्रयास से ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का कार्यान्वयन विकास बढ़ता जा रहा है। वैसे-वैसे उनके जीवन में परिवर्तन आता जा रहा है।
 
=== '''(2) नगरीय समुदाय-''' ===