"शाह": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Mohammad Reza Pahlavi.png|thumb|230px|[[ईरान]] के अंतिम शहनशाह मुहम्मद रेज़ा पहलवी (१९४१-१९७९)]]
'''शाह''' (<small>[[फ़ारसी]]: {{Nastaliq|ur|شاه‎}}, [[अंग्रेज़ी]]: shah</small>) [[ईरान]], [[मध्य एशिया]] और [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में 'राजा' के लिए प्रयोग होने वाला एक और शब्द है। यह [[फ़ारसी]] भाषा से लिया गया है , शाह का अर्थ बहुत बड़ा होता है यानि जो जनता में सबसे बड़ा हो वो शाह (राजा) । [[पुरानी फ़ारसी]] में इसका रूप 'ख़्शायथ़ीय​' (<small>xšathiya</small>) था।
== शाह उपनाम राजवंश और सूफी-संतों की उपाधि ==
'''शाह राजवंश का प्रमुख उपनाम है''' एशिया के ज्यादातर राजवंश शाह उपनाम लगाते है जैसे ईरान का राजशाही वंश हो या अफगानिस्तान का राजवंश या फिर हिंदुस्तान के समस्त दिल्ली सल्तनत के सुल्तान और बादशाह । दिल्ली पर हुकूमत करने वाले समस्त राजवंश चाहे वो गुलाम वंश हो , या फिर ख़िलज़ी , तुगकक हो या फिर सैयद , लोधी हो या फिर मुगल इनके बीच मे जिस राजवंश ने इंट्री मारी वो सूरी राजवंश था इन सभी राजवंश में एक बात समान रूप से उल्लेखनीय रही कि तुर्की अफगानी पठान और मुगल होने पर भी इन महान सम्राटों ने अपने नाम में शाह उवनाम लगाया। तो देखा आने शाह उपनाम की कितनी विशेषता है ।
सभी वंश के बादशाहों ने आने नाम के साथ शाह उपनाम लगाया। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी शाह राजवंश था। मुगलों के दौर में जिन रियासतों ने खुद को स्वतंत्र माना और नवाब की उपाधि धारण की उन हुक्मरानों ने भी अपने नाम के साथ शाह उपनाम को तरजीह दी। जैसे लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह।
भारत में सबसे पहले गुलाम वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस्लामी राज्य की नींव डाली उसने भी अपने नाम में शाह जोड़ा उसकी मृत्यु के बाद उसकी गद्दी पर उसका बेटा आराम शाह बैठा। आराम शाह के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद सुल्तान अल्तमश दिल्ली के सिंहासन पर विराजमान हुआ उसके सभी बेटों ने शाह उपनाम लगाया जैसे अल्तमश की मृत्यु के बाद उसका बेटा रुकनुद्दीन शाह बैठा फिर सुल्ताना रज़िया को मारकर उसका भाई बहराम शाह गद्दी नशीन हुआ फिर मसूद शाह और आखिर में सुल्तान नासिरुद्दीन शाह महमूद फिर बलबन ने भारत में ईरानी सभ्यता को जीवित किया। बलबन के पोते कैकुबाद को मारकर खिलजी गवर्नर फिरोज शाह तुगलक दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। खिलजी में शाह उपनाम ही प्रचलित रहा।
उसके बाद तुगलक काल में ग्यासुद्दीन तुगलक के वंशजों में शाह उपनाम लगाया जाता रहा जैसे सुल्तान फिरोज शाह तुग़लक और महमूद शाह तुग़लक आखरी मुगल बादशाह का नाम भी बहादुर शाह जफर है।
== शाह ज्यादातर सूफी-संतों का उपनाम ==
'''सूफी-संतों की परंपरा में भी शाह उवनाम की महत्त्वता'''
भारत में आए पहले सूफी संत अब्दुल्लाह शाह गाज़ी हो या फिर उनके बाद हजरत मदार शाह सभी ने शाह उवनाम लगाया और इस्लाम में दाखिल होने वाले सभी नए मुसलमानों को भी शाह सरनेम दिया। धार में राजा भोज के काल में 1000 ईस्वी में तशरीफ़ लाए शाह चंगाल ने भी शाह उपनाम लगाया।
भारत के कोने-कोने में , जंगलों में , वीरानों में , पहाड़ों और आबादियों में जहाँ-जहाँ भी नजरे जाती है किसी ना किसी अल्लाह के वली की समाधि दिखाई देती है ये सभी सूफी संत शाह है।
'''== शाह उपनाम वाले सैयद जाति से होते है'''हैं ==
हजरत मोहम्मद की बेटी फ़ातेमा का एक नाम सय्यदा भी है सय्यदा की औलादों को सैयद कहते है। बीवी फ़ातेमा के पति हजरत अली ने फ़ातेमा की मृत्यु के बाद दूसरी शादियां की उन बीवियों से उत्तपन्न वंश अल्वी कहलाता है। चूंकि फ़ातेमा और अन्य पत्नियों से पैदा हुए बच्चों के पिता हजरत अली ही है इसलिए सैयद वंश के लोग आने सरनेम में अपने बाप हजरत अली का नाम भी उपनाम की तरह लिखते है।
सैयद जाति में बैग, अमीर और शाह भी लक़ब है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/शाह" से प्राप्त