"बाबर": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Content deleted Content added
छोNo edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
छोNo edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 20:
}}
'''ज़हिर उद-दिन मुहम्मद''' बाबर (14 फ़रवरी 1483 - 26 दिसम्बर 1530) जो '''[https://alarmforstudy.blogspot.com/2019/10/babar.html?m=1 बाबर]'''<ref>{{Cite web|url=https://alarmforstudy.blogspot.com/2019/10/babar.html|title=बाबर|access-date=2019-10-19}}</ref> के नाम से प्रसिद्ध हुआ, एक [[मुगल]] शासक था . जिनका मूल मध्य एशिया था। वह भारत में [[मुगल वंश]] का संस्थापक था। वो [[तैमूर लंग|तैमूर लंग]] का वंशज था, और विश्वास रखता था कि [[चंगेज़ ख़ान]] उनके वंश का पूर्वज था। मुबईयान नामक पद्य शैली का जन्मदाता बाबर को ही माना जाता है। 1504 ई.काबुल तथा 1507 ई में कंधार को जीता था तथा बादशाह (शाहों का शाह) की उपाधि धारण की 1519 से 1526 ई. तक भारत पर उसने 5 बार आक्रमण किया तथा सफल 1526 में उसने पानीपत के मैदान में दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल वंश की नींव रखी उसने 1527 में खानवा 1528 मैं चंदेरी तथा 1529 में आगरा जीतकर अपने राज्य को सफल बना दिया 1530 ई० में उसकी मृत्यु हो गई बाबर ने अपने शासनकाल में अत्यंत प्रसिद्धि प्राप्त की यदि बाबर ना होता तो शायद ही मुगल वंश की स्थापना भारत में हो सकती। बाबर ने अपने बुद्धि एवं बल दोनोंं के प्रयोग से भारत में अपना शासन चलाया। बाबर नेे तुलुगमा युद्ध पद्धति की सहायता से भारत में अपनी जीत का डंका बजाया था। किंतु भारत में राणा संग्राम सिंह(सांगा) ने अपनी वीरता के दम पर बाबर को काफी परेशान किया सांगा के शरीर पर खानवा केे युद्ध के दौरान 80 घाव लगने पर भी युद्ध में डटे रहे जिससे बाबर ने भी सांगा की तारीफ की
== आरंभिक जीवन ==
|