"कुमारसंभवम्": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 97:
: (इस प्रकार विजयी कार्तिकेय ने जब समस्त संसार के हृदय में कीट की भाँति चुभने वाले तारकासुर को मार डाला तब इन्द्र पुनः स्वर्ग के स्वामी बन गए और सभी देवताओं ने अपने-अपने मुकुट की मणियों सहित अपना मस्तक उनके चरणों पर रखकर उनकी वन्दना की।)
 
Parntu ki tapsya
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
==बाहरी कड़ियाँ==