"लाइकेन": अवतरणों में अंतर

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कुछ वनस्पतिज्ञों के विचारों के अनुसार यह परस्पर लाभ का संबंध होते हुए भी एक के लिए हानिकारक है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह परजीविता का उदाहरण है, जिसमें शैवाल भाग कवक के द्वारा पीड़ित होता है।
 
== जनननीननननन ==
== जनन ==
 
 
 
 
 
लाइकेन का कोई भी पृथक् हुआ भाग उचित वातावरण में स्वंत्रतापूर्वक बढ़ सकता है। कुछ लाइकेन जनन के लिए एक विशेष प्रकार के अंग बनाते हैं, जिन्हें सोरिडिया (Soridia) कहते हैं। ये थैलस के छोटे छोटे भाग होते हैं, जिनमें एक या दो शैवाल कोशिकाएँ कवक तंतुओं द्वारा आवरित होती हैं। यह पैतृक थैलसों से टूटने के पश्चात् वायु, वर्षा या जंतुओं द्वारा उचित वातावरण में पहुँचकर नवीन पौधे बनाते हैं। इनके लाइकेन के दोनों संघटक शैवाल तथा कवक की संतुलित वृद्धि होती है।