"धर्म": अवतरणों में अंतर
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: दूसरे शब्दों में, जो पुरूष धर्म का नाश करता है, उसी का नाश धर्म कर देता है। और जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म भी रक्षा करता है। इसलिए मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले, इस भय से धर्म का हनन अर्थात् त्याग कभी न करना चाहिए
== जिन परम्परा (जैन) ==
[[File:Ahinsa Parmo Dharm.jpg|thumb|[[जिनालय(जैन मंदिर)]] में अंकित: अहिंसा परमॊ धर्मः]]
[[जैन ग्रंथ]], [[तत्त्वार्थ सूत्र]] में [[दशलक्षण धर्म|१० धर्मों]] का वर्णन है। यह १० धर्म है:{{sfn|जैन|२०११|p=१२८}}
*उत्तम क्षमा
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