"प्रतिपिंड": अवतरणों में अंतर

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'''प्रतिपिंड (एंटीबॉडी), ('''इम्युनोग्लोबुलिन<ref name="pmid8450761">{{cite journal |author=Litman GW, Rast JP, Shamblott MJ |title=Phylogenetic diversification of immunoglobulin genes and the antibody repertoire |journal=Mol. Biol. Evol. |volume=10 |issue=1 |pages=60–72 |year=1993 |pmid=8450761 |doi=}}</ref>(immunoglobulins),''' ''' संक्षिप्ताक्षर में '''आईजी (Ig)''') के नाम से भी जाने जाते हैं, गामा रक्तगोलिका (globulin) प्रोटीन हैं, जो मेरुदण्डीय प्राणियों के रक्त या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों में पाए जाते हैं, तथा इनका प्रयोग प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बैक्टीरिया तथा वायरस (विषाणु) जैसे बाह्य पदार्थों को पहचानने तथा उन्हें बेअसर करने में किया जाता है। ये आम तौर पर पांच संरचनात्मक ईकाइयों से मिल कर बने हैं-जिनमे से प्रत्येक की दो बड़ी व भारी श्रृंखलाएं तथा दो छोटी व हल्की श्रृंखलाएं होती हैं-जो एक साथ मिल कर, उदाहरण के लिए, एक इकाई के साथ मोनोमर्स (monomers), दो इकाईयों के साथ डाइमर्स (dimers) और पांच इकाईयों के साथ मिल कर पेंटामर्स (pentamers) बनाती हैं। प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) एक प्रकार की सफ़ेद रक्त कोशिका से निर्मित होते हैं जिन्हें प्लाविका कोशिका (प्लाज़्मा सेल) कहा जाता है। प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) भारी श्रृंखलाएं तथा प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) भी कई विभिन्न प्रकार के हैं, जो सामूहिक रूप से अलग-अलग प्रकार के ''आइसोटाइप'' (isotypes) बनाते हैं, जो उनकी भारी श्रृंखला पर आधारित होते हैं। स्तनधारियों में पांच विभिन्न प्रकार के प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) ज्ञात हैं, जो अलग अलग कार्य करते हैं, तथा वे विभिन्न प्रकार के बाह्य पदार्थ से लड़ने के लिए उचित प्रतिरक्षा (इम्यून) प्रतिक्रिया को जानने में सहायता करते हैं।<ref name="Market">इलिओनोरा मार्केट, नीना पापावासिलियो (2003) [http://biology.plosjournals.org/perlserv/?request=get-document&amp;doi=10.1371/journal.pbio.0000016 ''वी (डी) जे अनुकूली प्रतिरक्षा प्रणाली के पुनर्संयोजन और विकास'' ] पलोस (PLoS) जीवविज्ञान1(1): e16.</ref>
 
हालांकि सभी प्रतिपिंडों (एंटीबॉडी) की सामान्य संरचना बहुत समान होती है, प्रोटीन की नोक पर छोटा सा क्षेत्र अत्यंत परिवर्तनशील है, जो थोड़ी अलग टिप संरचनाओं वाले लाखों प्रतिपिंडों (एंटीबॉडी) या प्रतिजन (एंटीजन) को अस्तित्व में बने रहने की अनुमति देता है। इस क्षेत्र को अत्याधिक परिवर्तनशील (hypervariable) क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। इनमें से प्रत्येक प्रकार (वेरिएंट) अन्य लक्ष्य के साथ जुड़ सकता है जिसे प्रतिजन (एंटीजन) कहते हैं।<ref name="Janeway5">{{cite book | author = [[Charles Janeway|Janeway CA, Jr]] ''et al.'' | title = Immunobiology. | edition = 5th | publisher = Garland Publishing | year = 2001 | url = httphttps://wwwarchive.ncbi.nlm.nih.govorg/booksdetails/bv.fcgi?call=bv.View..ShowTOC&rid=imm.TOC&depth=10immunobiology00char | isbn = 0-8153-3642-X | url-access = registration }}</ref> प्रतिपिंडों (एंटीबॉडी) में यह विशाल विविधता प्रतिरक्षा प्रणाली को समान रूप से विशाल विविधता वाले प्रतिजनों (एंटीजन) के प्रकारों को पहचानने में सहायता करती है। प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) द्वारा पहचाना गया प्रतिजन (एंटीजन) का विशिष्ट भाग एपिटोप (epitope) कहलाता है। ये एपीटोप अपने प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) के साथ अत्याधिक विशिष्ट प्रक्रिया द्वारा जुड़ जाते हैं, जिसे इंड्यूस्ड फिट (induced fit) कहते हैं, तथा जो शरीर की रचना के लिए जिम्मेवार लाखों विभिन्न अणुओं के बीच प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) को केवल अपने विशिष्ट प्रतिजन (एंटीजन) को पहचानने तथा उसके साथ जुड़ने की अनुमति देते हैं। प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) द्वारा एक प्रतिजन (एंटीजन) की पहचान इसे प्रतिरक्षा (प्रतिरक्षा (immune)) प्रणाली के अन्य भागों द्वारा हमले के लिए ''चिह्नित'' करती है। प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) लक्ष्यों को सीधे भी बेअसर कर सकते हैं, उदाहरण के लिए, रोगज़नक़ (pathogen) के हिस्से के साथ जुड़ कर, जो संक्रमण का कारण बन सकता है।<ref name="Rhoades">{{cite book | author = Rhoades RA, Pflanzer RG | title = Human Physiology | edition = 4th | publisher = Thomson Learning | year = 2002 | isbn = 0-534-42174-1 | url-access = registration | url = https://archive.org/details/humanphysiologyw00rodn }}</ref>
 
प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) की बड़ी और विविध जनसंख्या जीन खण्डों के क्रमरहित संयोजनों से बनती है जो विभिन्न प्रतिजन (एंटीजन) को जोड़ने वाली साइटों (या ''पैराटोप'' (paratopes)) को कूटबद्ध करती है, जिसके बाद प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) जीन के इस क्षेत्र में क्रमरहित स्थिति परिवर्तन (mutations) होते हैं, जो विविधता को और अधिक बढ़ाते हैं।<ref name="Market" /><ref name="diaz">{{cite journal |author=Diaz M, Casali P |title=Somatic immunoglobulin hypermutation |journal=Curr Opin Immunol |volume=14 |issue=2 |pages=235–40 |year=2002 |pmid=11869898 |doi=10.1016/S0952-7915(02)00327-8}}</ref> प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) जीन भी वर्ग परिवर्तन (class switching) प्रक्रिया द्वारा खुद को फिर से संगठित कर के भारी श्रृंखला के आधार को दूसरे में परिवर्तित कर के, प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) का अलग प्रकार का आइसोटाइप बनाते हैं जो प्रतिजन (एंटीजन) विशेष के बदलाव क्षेत्र को बनाए रखता है। यह एकल प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) को प्रतिरक्षा (immune) प्रणाली के कई अलग अलग भागों द्वारा इस्तेमाल किये जाने की अनुमति देता है। प्रतिपिंडों (एंटीबॉडी) का उत्पादन शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली का मुख्य कार्य है।<ref name="Pier">{{cite book | author = Pier GB, Lyczak JB, Wetzler LM | title = Immunology, Infection, and Immunity | publisher = ASM Press| year = 2004 | isbn = 1-55581-246-5}}</ref>