"आगम": अवतरणों में अंतर

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[[भारत]] के नाना [[धर्म|धर्मों]] में आगम का साम्राज्य है। [[जैन धर्म]] में मात्रा में न्यून होने पर भी आगमपूजा का पर्याप्त समावेश है। [[बौद्ध धर्म]] का 'वज्रयान' इसी पद्धति का प्रयोजक मार्ग है। वैदिक धर्म में उपास्य देवता की भिन्नता के कारण इसके तीन प्रकार है: '''वैष्णव आगम''' ([[पंचरात्र]] तथा [[वैखानस]] आगम), '''शैव आगम''' (पाशुपत, शैवसिद्धांत, त्रिक आदि) तथा '''शाक्त आगम'''।
मुख्यतः '''आगम''' जैन ग्रन्थ हैं।
 
== हिन्दू आगम ==
'''आगम''' परम्परा से आये [[हिन्दू]] धर्म के महत्वपूर्ण ग्रन्थ हैं। [[वेद]] के ये सम्पूरक हैं। इनके वक्ता प्रायः [[शिव]]जी होते हैं।
 
यह शास्त्र साधारणतया 'तंत्रशास्त्र' के नाम से प्रसिद्ध है। निगमागममूलक [[भारतीय संस्कृति]] का आधार जिस प्रकार निगम (=वेद) है, उसी प्रकार आगम (=तंत्र) भी है। दोनों स्वतंत्र होते हुए भी एक दूसरे के पोषक हैं। निगम कर्म, ज्ञान तथा उपासना का स्वरूप बतलाता है तथा आगम इनके उपायभूत साधनों का वर्णन करता है। इसीलिए [[वाचस्पति मिश्र]] ने '[[तत्ववैशारदी]]' (योगभाष्य की व्याख्या) में 'आगम' को व्युत्पत्ति इस प्रकार की है : ''आगच्छंति बुद्धिमारोहंति अभ्युदयनि:श्रेयसोपाया यस्मात्‌, स आगम:''।
 
आगम का मुख्य लक्ष्य 'क्रिया' के ऊपर है, तथापि ज्ञान का भी विवरण यहाँ कम नहीं है। 'वाराहीतंत्र' के अनुसार आगम इन सात लक्षणों से समवित होता है : सृष्टि, प्रलय, देवतार्चन, सर्वसाधन, पुरश्चरण, षट्कर्म, (=शांति, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चाटन तथा मारण) साधन तथा ध्यानयोग। 'महानिर्वाण' तंत्र के अनुसार कलियुग में प्राणी मेध्य (पवित्र) तथा अमेध्य (अपवित्र) के विचारों से बहुधा हीन होते हैं और इन्हीं के कल्याणार्थ महादेव ने आगमों का उपदेश पार्वती को स्वयं दिया। इसीलिए कलियुग में आगम की पूजापद्धति विशेष उपयोगी तथा लाभदायक मानी जाती है-कलौ आगमसम्मत:।
 
वैदिक धर्म में उपास्य देवता की भिन्नता के कारण इसके तीन प्रकार है: '''वैष्णव आगम''' (पाँचरात्र तथा वैखानस आगम), '''शैव आगम''' (पाशुपत, शैवसिद्धांत, त्रिक आदि) तथा '''शाक्त आगम'''। द्वैत, द्वैताद्वैत तथा अद्वैत की दृष्टि से भी इनमें तीन भेद माने जाते हैं। अनेक आगम वेदमूलक हैं, परंतु कतिपय तंत्रों के ऊपर बाहरी प्रभाव भी लक्षित होता है। विशेषत: शाक्तागम के कौलाचार के ऊपर [[चीन]] या [[तिब्बत]] का प्रभाव [[पुराण|पुराणों]] में स्वीकृत किया गया है। आगमिक पूजा विशुद्ध तथा पवित्र भारतीय है। 'पंच मकार' के रहस्य का अज्ञान भी इसके विषय में अनेक भ्रमों का उत्पादक है।ऐसा भी कहा जाता है कि आगम शास्त्र का ज्ञान सुन कर या गुरमुख के द्वारा ही पाया जा सकता है महादेव के द्वारा ये दिव्यज्ञान लोमश ऋषि को प्राप्त हुआ और फिर गुरुमुख द्वारा अन्य को
 
== जैन आगम ==
{{मुख्य|आगम (जैन)}}
जैन-साहित्य का प्राचीनतम भाग ‘आगम’ के नाम से कहा जाता है। आगम ग्रन्थ काफी प्राचीन है, तथा जो स्थान [[वैदिक साहित्य]] क्षेत्र में [[वेद]] का तथा बौद्ध साहित्य में [[त्रिपिटक]] का है, वही स्थान जैन साहित्य में आगमों का है। आगम ग्रन्थों में [[महावीर स्वामी|महावीर]] के उपदेशों तथा जैन संस्कृति से सम्बन्ध रखने वाली अनेक कथा-कहानियों का संकलन है।
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'''मूलसूत्र''' (4) : उत्तरज्झयण, आवस्सय, दसवेयालिय, पिंडनिज्जुति। नंदि और अनुयोग।
 
== बौद्ध आगम ==
इनके अलावा [[दिगम्बर]] सम्प्रदाय में [[षट्खण्डागम]] की प्रधानता है।
{{मुख्य|आगम (बौद्ध)}}
 
== इन्हें भी देखें==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/आगम" से प्राप्त