"कैबिनेट मिशन": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2018}}
'''वर्ष 1946 में [[ब्रिटेन]] के प्रधानमंत्री [[एटली]] ने भारत में एक तीन सदस्यीय उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल भेजने की घोषणा की। इस शिष्टमंडल में ब्रिटिश कैबिनेट के तीन सदस्य- [[लार्ड पैथिक लारेंस]] ([[भारत सचिव]]), [[सर स्टेफर्ड क्रिप्स]] (व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष) तथा [[ए.वी. अलेक्जेंडर]] (एडमिरैलिटी के प्रथम लार्ड या नौसेना मंत्री) थे। इस मिशन को विशिष्ट अधिकार दिये गये थे तथा इसका कार्य भारत को शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के लिये, उपायों एवं संभावनाओं को तलाशना था।
 
कैबिनेट मिशन दिल्ली आया 24 मार्च 1946
 
कैबिनेट<u>'''🌹🌹🌹कैबिनेट मिशन दिल्ली आया 24 मार्च 1946
कैबिनेट मिशन अपने प्रस्ताव को प्रस्तुत किया 16 मई 1946
कैबिनेट मिशन 1946 का उद्देश्य -
1. संविधान सभा का गठन करना यह- मुख्य उद्देश्य था
2. भारत का विभाजन यह- गौण उद्देश्य
उत्तम कुमार जांगिड़ बस्सी
3. संविधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से होगा
4. संविधान सभा का एक सदस्य 10 लाख जनसंख्या पर चुना जाएगा
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✍️✍️By. Ramkesh MeeNa SeeRa
अजबगढ़ थानागाजी अलवर राजस्थान
9694645857🌹🌹🙏🙏🙏'''</u>
9694645857'''
 
'''<u>करना</u>'''
 
*<u>'''''देश के मुख्य दलों की मदद से कार्यकारी परिषद का''''' '''गठन'''</u>
 
'''<u>मिशन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों के बातचीत की। मिशन ने सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए हिंदु-मुस्लिम के बीच सत्ता साझेदारी की योजना बनाई। उधर, कांग्रेस पार्टी ने अंग्रेजों के चले जाने पर मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम जनता से स्वयं बातचीत कर उन्हें निर्णय लेने के लिए राजी करना चाहते थे। अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना भारत के साथ रहना चाहते थे लेकिन वह संविधान में मुसलमानों को विशेष राजनीतिक संरक्षण की गारंटी भी चाहते थे। मुस्लिम लीग ने तर्क दिया की अंग्रेजों के चले जाने के बाद भारत हिंदू राष्ट्र में बदल जाएगा। मुस्लिम लीग के इस तर्क का अंग्रेजों ने समर्थन किया। आरंभिक बातचीत के बाद मिशन ने 16 मई 1946 को नई सरकार के गठन का प्रस्ताव रखा।संविधान सभा में 389 सीटें रखी गई। जिसमें से 292 ब्रिटिश प्रांत के प्रतिनिधि, 4 कमिश्नर एवं 93 देशी रियायतें थी।</u>'''
 
==बाहरी कड़ियाँ==