"रविदास": अवतरणों में अंतर

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सतगुरु रविदास जी भारत के उन चुनिंदा महापुरुषों में से एक हैं जिन्होंने अपने रूहानी वचनों से सारे संसार को एकता, भाईचारा पर जोर दिया। आप जी की अनूप महिमा को देख कई राजे और रानियां आपकी शरण में आए। आप ने जीवन भर समाज में फैली कुरीति जैसे जात पात के अंत के लिए काम किया।
और जब राजा चन्द्रहास उनको देखते है तो देखते ही रह जाते है राजा चन्द्रहास रविदास जी की अनुपम छवि और उनका तेज देखकर मन्त्रमुग्ध हो जाते है और उनकी चरण वंदना करते है और रविदास जी राजा चन्द्रहास से उनकी और प्रजा की कुशलता पूछते है और दोनों में लम्बी बात होती है फिर इसके उपरांत रविदास जी महाराज राजा समेत समस्त प्रजा को आशीर्वाद देकर चित्तौड़गढ़ की ओर बढ़ जाते है
 
आप के सेवक आप को "" सतगुरु"", ""जगतगुरू"" आदि नामों से सत्कार करते हैं।
 
 
 
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== जीवन ==