"नवधा भक्ति": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
सर्वस्व टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 13:
'''स्मरण''': निरंतर अनन्य भाव से परमेश्वर का स्मरण करना, उनके महात्म्य और शक्ति का स्मरण कर उस पर मुग्ध होना।
'''पाद सेवन''': ईश्वर के चरणों का आश्रय लेना और उन्हीं को अपना
'''अर्चन''': मन, वचन और कर्म द्वारा पवित्र सामग्री से ईश्वर के चरणों का पूजन करना।
|