"हिन्दू धर्म": अवतरणों में अंतर

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=== मूर्तिपूजा ===
ज्यादातर हिन्दू भगवान की मूर्तियों द्वारा पूजा करते हैं। उनके लिये मूर्ति एक आसान सा साधन है, जिसमें कि एक ही निराकार ईश्वर को किसी भी मनचाहे सुन्दर रूप में देखा जा सकता है। हिन्दू लोग वास्तव में पत्थर और लोहे की पूजा नहीं करते, जैसा कि कुछ लोग समझते हैं। मूर्तियाँ हिन्दुओं के लिये ईश्वर की भक्ति करने के लिये एक साधन मात्र हैं।हिन्दु मुर्ति की पूजा भगवान में नीत्य अपना ध्यान केंद्रीत करने के लीये करते है हिन्दु मुर्ति की पूजा शास्त्रो में वर्णीत है वे से करते है जैसे की रामायण के वर्णन अनुसार वो मुर्ती बनवाते हैं और मंत्रो द्वारा उसे प्राण प्रतिशठीत करते और फीर रोज भगवान के उस विग्रह की उपासना करते है।हैं।
 
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=== मंदिर ===
हिन्दुओं बनाााेय।कुछके औरउपासना मतोस्थलों केको मन्दिर कहते हैं। प्राचीन वैदिक काल में मन्दिर नहीं होते थे। अनुसाारतब उपासना अग्नि के स्थान पर होती थी जिसमें एक सोने की मूर्ति ईश्वर के प्रतीक के रूप में स्थापित की जाती थी। एक नज़रिये के मुताबिक बौद्ध और जैन धर्मों द्वारा बुद्ध और महावीर की मूर्तियों और मन्दिरों द्वारा पूजा करने की वजह से हिन्दू भी उनसे प्रभावित होकर मन्दिर बनाने लगे। हर मन्दिर में एक या अधिक देवताओं की उपासना होती है। गर्भगृह में इष्टदेव की मूर्ति प्रतिष्ठित होती है। मन्दिर प्राचीन और मध्ययुगीन भारतीय कला के श्रेष्ठतम प्रतीक हैं। कई मन्दिरों में हर साल लाखों तीर्थयात्री आते हैं।
हिन्दुओं के उपासना स्थलों को मन्दिर कहते हैं।[[हड़प्पा]] ,और रामायन ,माहाभारत के अनुसार [[राम]] ,पांडव ने शिवलिंग उपासना की और मंदी
 
र बनाााेय।कुछ और मतो के अनुसाार उपासना अग्नि के स्थान पर होती थी जिसमें एक सोने की मूर्ति ईश्वर के प्रतीक के रूप में स्थापित की जाती थी। एक नज़रिये के मुताबिक बौद्ध और जैन धर्मों द्वारा बुद्ध और महावीर की मूर्तियों और मन्दिरों द्वारा पूजा करने की वजह से हिन्दू भी उनसे प्रभावित होकर मन्दिर बनाने लगे। हर मन्दिर में एक या अधिक देवताओं की उपासना होती है। गर्भगृह में इष्टदेव की मूर्ति प्रतिष्ठित होती है। मन्दिर प्राचीन और मध्ययुगीन भारतीय कला के श्रेष्ठतम प्रतीक हैं। कई मन्दिरों में हर साल लाखों तीर्थयात्री आते हैं।
 
अधिकाँश हिन्दू चार शंकराचार्यों को (जो ज्योतिर्मठ, द्वारिका, शृंगेरी और पुरी के मठों के मठाधीश होते हैं) हिन्दू धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु मानते हैं।