"तारागढ़ दुर्ग": अवतरणों में अंतर
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पहाड़ी की खड़ी ढलान पर बने इस दुर्ग में प्रवेश करने के लिए तीन विशाल द्वार बनाए गए हैं। इन्हें लक्ष्मी पोल, फूटा दरवाजा और गागुड़ी का फाटक के नाम से जाना जाता है। महल के द्वार हाथी पोल पर बनी विशाल हाथियों की जोड़ी है।इस किले के भीतर बने महल अपनी शिल्पकला एंव भित्ति चित्रों के कारण अद्वितिय है। इन महलों में छत्रमहल, अनिरूद्ध महल, रतन महल, बादल महल और फुल महल प्रमुख है।
गर्भ गुंजन-किले की भीम बुर्ज पर रखी "गर्भ गुंजन" तोप अपने विशाल आकार और मारकक्षमता से शत्रुओं के छक्के छुड़ाने का कार्य करती थी। आज भी यह तोप यहां रखी हुई है लेकिन वर्तमान में यह सिर्फ प्रदर्शन की वस्तु बनकर रह गई है। कहा जाता है जब यह तोप चलती थी तब इसकी भयावह गर्जना से उदर में झंकार हो जाती थी। इसीलिए इसका नाम "गर्भगुंजन" रखा गया। सोलहवीं सदी में यह तोप कई मर्तबा गूंजी थी।
तलाब-इस किले में पानी के तीन तलाब शामिल हैं जो कभी नहीं सूखते। इन तालाबों का निर्माण इंजीनियरिंग (अभीयांत्रिकी) के परिष्कृत और उन्नत विधि का प्रमुख उदाहरण है जिनका प्रयोग उन दिनों में हुआ था।इन जलाशयों में वर्षा का जल सिंचित रखा जाता था और संकटकाल होने पर आम निवासियों की जरूरत के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता था। जलाशयों का आधार चट्टानी होने के कारण पानी सालभर यहां एकत्र रहता था।
खंम्भों की छतरी- कोटा जाने वाले मार्ग पर देवपुरा ग्राम के निकट एक विशाल छतरी बनी हुई है। इस छतरी का निर्माण राव राजा अनिरूद्ध सिंह के धाबाई देवा के लिए 1683 में किया। तीन मंजीला छतरी 84 भव्य स्तंभ
==सन्दर्भ==
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{{आधार}}
{{भारत के किले}}
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