"वार्ता:विक्रमादित्य": अवतरणों में अंतर

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तारिख फरिश्त नामक प्रसिद्ध ग्रंथ में विक्रमादित्य को पँवार कहा गया है, लिखा वर्णन इस तरह से है --
"विक्रमादित्य जाती के पँवार थे। उनका स्वभाव बहुत अच्छा था। उनके विषय में जो कहानियां हिंदूओ में प्रचलित है, उससे स्पष्ट होता है कि उनका वास्तविक स्वरूप कितना महान था। युवा अवस्था में यह राजा बहुत समय तक साधुओं के वेशभूषा में (मालवगण में) भ्रमण करता रहा। उसने बड़ा तपस्वी जीवन व्यतीत किया। थोडे़ ही दिनों में नहरवाला और मालवा दोनों देश उसके अधिपत्य में हो गये। यह निश्चित था कि वह एक महापराक्रमी चक्रवर्ती राजा होगा। राजकाज हाथ में लेते ही उसने न्याय को संसार में ऐसा फैलाया कि अन्याय का चिन्ह बाकी न रहा और साथ ही साथ उदारता भी अनेकों कार्यों में दिखलाईं।" [[सदस्य:Aniket M Gautam|Aniket M Gautam]] ([[सदस्य वार्ता:Aniket M Gautam|वार्ता]]) 12:25, 6 नवम्बर 2019 (UTC)
 
विक्रमादित्य(संवत् प्रवर्तक).डाॅ. राजबली पांडेय.एम.ए.,डी.लिट्.GOVERNMENT OF INDIA. Department of Archaeological Library.Acc. No.17913 में भी विक्रमादित्य को अग्निवंश के प्रमार क्षत्रिय या परमार या पँवार या पोवार होने की बात संदर्भों के साथ दर्ज हैं। अतः विक्रमादित्य लोधी या रोड वंशीय नहीं थे। इसके कोई प्रमाण नहीं। [[सदस्य:Aniket M Gautam|Aniket M Gautam]] ([[सदस्य वार्ता:Aniket M Gautam|वार्ता]]) 12:29, 6 नवम्बर 2019 (UTC)
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