"वार्ता:विक्रमादित्य": अवतरणों में अंतर

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नवसाहसांकचरित, आएन-ए-अकबरी, विक्रमांकदेव चरित्र, प्राचीन जैन अनुश्रुतियां, भविष्य महापूराण, कल्हण कृत राजतरंगिणी,नेपाल राजवंशावली और तारिके - ए-फरिश्त जैसे प्रसिद्ध ग्रंथों, अभिलेखों और साहित्यिक स्त्रोतों में विक्रमादित्य को प्रमार या परमार अथवा अग्निवंशीय कहाँ गया है। हिस्ट्री आॅफ राइज आॅफ मोहम्मद पावर इन इण्डिया में लिखा है कि '''पोवार राजा विक्रमजीत (विक्रमादित्य) ने धारानगरी (धार) का प्रसिध्द किल्ला बनवाया था। उज्जयिनी के राजा विक्रमजीत पोवार का इतिहास शानदार धार्मिक और पवित्र है।''' प्राचीन जैन अनुश्रुतियों में विक्रमादित्य को गर्दभिल्ल या गंधर्वसेन प्रमार का पुत्र बताया गया है। तारीख ए फरिश्त नामक प्रसिद्ध ग्रंथ में विक्रमादित्य पँवार का निम्नलिखित वर्णन प्राप्त होता है - "विक्रमादित्य जाती के पँवार थे। उनका स्वभाव बहुत अच्छा था। उनके विषय में जो कहानियां हिंदूओ में प्रचलित है, उससे स्पष्ट होता है कि उनका वास्तविक स्वरूप कितना महान था। युवा अवस्था में यह राजा बहुत समय तक साधुओं के वेशभूषा में (मालवगण में) भ्रमण करता रहा। उसने बड़ा तपस्वी जीवन व्यतीत किया। थोडे़ ही दिनों में नहरवाला और मालवा दोनों देश उसके अधिपत्य में हो गये। यह निश्चित था कि वह एक महापराक्रमी चक्रवर्ती राजा होगा। राजकाज हाथ में लेते ही उसने न्याय को संसार में ऐसा फैलाया कि अन्याय का चिन्ह बाकी न रहा और साथ ही साथ उदारता भी अनेकों कार्यों में दिखलाईं।" [[सदस्य:Aniket M Gautam|Aniket M Gautam]] ([[सदस्य वार्ता:Aniket M Gautam|वार्ता]]) 12:38, 6 नवम्बर 2019 (UTC)
([[सदस्य:Aniket M Gautam|Aniket M Gautam]] ([[सदस्य वार्ता:Aniket M Gautam|वार्ता]]) 12:40, 6 नवम्बर 2019 (UTC))
 
== विक्रमादित्य पँवार राजवंश के अग्निवंशीय क्षत्रिय थे। वे लोधी नहीं थे। ==
 
'''द ओरिजिन आॅफ मॅथेमेटिक्स में भी वर्णन मिलता है कि विक्रमादित्य आज से करिब ईसा पूर्व पहली शताब्दी में पँवार (प्रमर) राजवंश के सम्राट के रूप में विख्यात हुए। उन्होंने समस्त भारत तथा भारत के लोगों के दिलों को जीता।'''
 
इसलिए विक्रमादित्य प्रमार को रोड वंशीय नहीं कहा जा सकता। बल्कि जानकारियों का कहना है कि निर्वादित रूप से परमार वंश के थे। '''यह बात kota venkatachalam में भी दर्ज है कि विक्रमादित्य पँवार थे।'''
कृपया पेज से रोड वंशीय उध्दरण हटाकर विक्रमादित्य को पँवार या प्रमार राजवंश का लिखा जाय। [[सदस्य:Aniket M Gautam|Aniket M Gautam]] ([[सदस्य वार्ता:Aniket M Gautam|वार्ता]]) 03:27, 7 नवम्बर 2019 (UTC)
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