"टर्बोजेट": अवतरणों में अंतर
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== बनावट ==
=== कार्यप्रणाली ===
इसमें एक अंतर्ग्रहक (इनटेक), [[संपीडक]], कम्बस्टर (अंतर्दहक), [[टर्बाइन]] और एक प्रॉपेलिंग नॉजल होता है। हवा अंतर्ग्रहक में खींची जाती है और संपीडक द्वारा संपीड़ित होती है। अंतर्ग्रहण के बाद संपीड़ित वायु में ईंधन मिला या जाता है, जहाँ ईंधन और वायु के मिश्रण का दहन होता है, जिससे गर्म गैसें उत्पन्न होतीं हैं। ये गैसें गर्म होने की वजह से और भी फैलती हैं, और अंतर्दहक में दबाव बढ़ने लगता है। चूंकि संपिडक की ओर से पहले से वायु आ रही होती है, गर्म गैसें इंजन के पिछले हिस्से में लगी टर्बाइन के रास्ते से निकलती है, जिससे टर्बाइन पर दबाव पड़ता है और वो घूमने लगती है। टर्बाइन द्वारा उत्पन्न कुछ शक्ति का उपयोग संपीडक को और ईंधन [[पम्प]] जैसी सहायक प्रणालियों को चलाने में किया जाता है। बाकी की शक्ति गैसों के साथ जेट के रुप में नॉजल से बाहर निकल जाती है, और इंजन को आगे की ओर धक्का ([[न्यूटन के गति नियम|न्यूटन के तीसरे नियम]] से) प्रदान करती है।
=== विश्वसनीयता ===
गैस टर्बाइनें आम तौर पर काफी विश्वसनीय और टिकाउ होती हैं। चूंकि एक टर्बोजेट इंजन गैस टर्बाइन के सबसे सरल रूपों में से एक होता है, इसलिये यह काफी विश्वसनीय माना जाता है।
=== दक्षता ===
बाकी टर्बाइन इंजनों की तरह इन इंजनों की उष्मीय दक्षता भी कम होती है। तीव्र गति से निकलने वाली गैसों की वजह से [[संवेग (भौतिकी)|संवेग]](<math display="inline">momentum, P = mv</math>) के अनुपात में [[गतिज ऊर्जा]](<math display="inline">Kinetic \, Energy,E \scriptscriptstyle K \textstyle = \frac 12 m v ^2</math> ) काफी अधिक होती है। इस वजह से टर्बोजेट और भी कम कार्यकुशल हो जाते हैं।
== इन्हें भी देखें ==
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