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Chaukhambha pratiyogita prakash nandini sanskrit by dr. Vishvambhar dayal tripathi
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== ब्राह्मण-ग्रन्थ ==
यद्यपिचारों वेदों के संस्कृत भाषा में प्राचीन परम्परामेंसमय [[मन्त्रब्राह्मणयोःमें जो अनुवाद थे ‘मन्त्रब्राह्मणयोः वेदनामधेयम्]]' के अनुसार वे ब्राह्मण वेदकाग्रंथ हीकहे एकभागजाते है।हैं। तथापिचार ब्राह्म्ण ग्रंथ हैं- ऐतरेय, शतपथ, साम और गोपथ | वेद संहिताओं के बाद ब्राह्मण-ग्रन्थों का निर्माण हुआ माना जाता है। इनमें यज्ञों के कर्मकाण्ड का विस्तृत वर्णन है, साथ ही शब्दों की व्युत्पत्तियाँ तथा प्राचीन राजाओं और ऋषियों की कथाएँ तथा सृष्टि-सम्बन्धी विचार हैं। प्रत्येक वेद के अपने ब्राह्मण हैं। [[ऋग्वेद]] के दो ब्राह्मण हैं - (1) [[ऐतरेय ब्राह्मण|ऐतरेय]] और (2) कौषीतकी।[[कौषीतकी]]। ऐतरेय में 40 अध्याय और आठ पंचिकाएँ हैं, इसमें अग्निष्टोम, गवामयन, द्वादशाह आदि सोमयागों, अग्निहोत्र तथा राज्यभिषेक का विस्तृत ऐतरेय ब्राह्मण-जैसा ही है। इनसे तत्कालीन इतिहास पर काफी प्रकाश पड़ता है। ऐतरेय में शुनःशेप की प्रसिद्ध कथा है। कौषीतकी से प्रतीत होता है कि उत्तर भारत में भाषा के सम्यक् अध्ययन पर बहुत बल दिया जाता था। शुक्ल [[यजुर्वेद]] का ब्राह्मण [[शतपथ]] के नाम से प्रसिद्ध है, क्योंकि इसमें सौ अध्याय हैं। [[ऋग्वेद]] के बाद प्राचीन इतिहास की सबसे अधिक जानकारी इसी से मिलती है। इसमें यज्ञों के विस्तृत वर्णन के साथ अनेक प्राचीन आख्यानों, व्युत्पत्तियों तथा सामाजिक बातों का वर्णन है। इसके समय में कुरु-पांचाल आर्य संस्कृति का केन्द्र था, इसमें पुरूरवा और [[उर्वशी]] की प्रणय-गाथा, च्यवन ऋषि तथा महा [[प्रलय]] का आख्यान, [[जनमेजय]], [[शकुन्तला]] और भरत का उल्लेख है। सामवेद के अनेक ब्राह्मणों में से पंचविंश या [[ताण्ड्य]] ही महत्त्वपूर्ण है। [[अथर्ववेद]] का ब्राह्मण [[गोपथ]] के नाम से प्रसिद्ध है।
 
== आरण्यक ==