"रंभा": अवतरणों में अंतर

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पुराणों में रंभा का चित्रण एक प्रसिद्ध [[अप्सरा]] के रूप में हुआ है। उसकी उत्पत्ति देवताओं और असुरों द्वारा किए गए विख्यात [[सागर मंथन]] से मानी जाती है। वह [[पुराण]] और [[साहित्य]] में सौंदर्य की एक [[प्रतीक]] बन चुकी है। [[इंद्र]] ने इसे अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था। उसने एक बार रंभा को ऋषि [[विश्वामित्र]] की तपस्या भंग करने के लिए भेजा था। महर्षि ने उसे एक सहस्त्र वर्ष तक पाषाण के रूप में रहने का श्राप दिया।
कहा जाता है !
कि एक बार जब वह कुबेर-पुत्र के यहाँ जा रही थी तो बीच मार्ग में [[कैलाशरावण]] की ओरभेंट जातेउससे हुएहुई [[रावणकैलाश]] नेकी मार्गओर मेंजाते एक कुआं था लेकिन रावण को उसका पता नहीं था क्योंकि रावण भी उसी मार्ग से कहीं जा रहा थाहुए, रावण को बहुत प्यास लगी, गरमी के कारण रावण का गला सूख रहा था तो रंभा ने उसे उसएक कुएं का पता बताया था, इससे प्रसन्न होकर रावण ने रंभा को एक माणिक जड़ित सवर्णहार दिया था|
 
== सन्दर्भ ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/रंभा" से प्राप्त