"रंभा": अवतरणों में अंतर
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पुराणों में रंभा का चित्रण एक प्रसिद्ध [[अप्सरा]] के रूप में हुआ है। उसकी उत्पत्ति देवताओं और असुरों द्वारा किए गए विख्यात [[सागर मंथन]] से मानी जाती है। वह [[पुराण]] और [[साहित्य]] में सौंदर्य की एक [[प्रतीक]] बन चुकी है। [[इंद्र]] ने इसे अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था। उसने एक बार रंभा को ऋषि [[विश्वामित्र]] की तपस्या भंग करने के लिए भेजा था। महर्षि ने उसे एक सहस्त्र वर्ष तक पाषाण के रूप में रहने का श्राप दिया।
कहा जाता है !
कि एक बार जब वह कुबेर-पुत्र के यहाँ जा रही थी तो बीच मार्ग में [[
== सन्दर्भ ==
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