"सती प्रथा": अवतरणों में अंतर

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'''सती''', ([[संस्कृत]] शब्द 'सत्' का स्त्रीलिंग) कुछ पुरातन भारतीय [[हिन्दू धर्म|हिन्दू]] समुदायों में प्रचलित एक ऐसी धार्मिक प्रथा थी, जिसमें किसी पुरुष की मृत्योपरांत उसकी पत्नी उसके अंतिम संस्कार के दौरान उसकी चिता साथमें जलस्वयमेव जातीप्रविष्ट थी।होकर अधिकतर महिलाएं मरना नहीं चाहती थीं लेकिन उनको रिवाज़ों के नाम पर दुष्ट हिन्दू जिसमें से ज्यादातर ब्राह्मण महिलाओं को नशीली चीजें खिलाआत्मत्याग कर डोललेती मंजीरों के साथ शोर शराबे में जबरजस्ती जला देते थे। डोल ज्यादा तेज बजाया जाता था। ताकि लोग विधवा की चित्कार सुनकर दहल नथी। जाएं।18291829 में अंग्रेजों द्वारा भारत में इसे गैरकानूनी घोषित किए <ref>{{वेब सन्दर्भ|last1=Thelallantop|title=शिव के अपमान से पड़ी सती प्रथा की ... - TheLallantop.com|url=http://www.thelallantop.com/bherant/the-origin-of-the-practice-of-sati-lies-in-the-puranas/|accessdate=5 जून 2016}}</ref>जाने के बाद से यह प्रथा प्राय: समाप्त हो गई थी । वास्तव मैं सती होने के इतिहास के बारे मे पूर्ण सत्यात्मक तथ्य नही मिले हैं। यह वास्तव मैं राजाओ की रानियों अथवा उस क्षेत्र की महिलाओं द्वारा जब दूश्मनका सेनाअंग्रजो के आक्रमण के समय यदि उनके रक्षकों की हार हो जाती तो अपने आत्मसम्मान को बचने के लिए स्वयं दाह कर लेती इसका सबसे बड़ा उदाहरण चितोड़ की महारानी पद्मनी का आता हैं।
 
इस प्रथा का अंत राजाराम मोहन राय ने अंग्रेज के गवर्नर लार्ड विलियम बैंटिक कि सहायता से की ।।
Lekin sati pratha ko hatane me Lord Dalhousie ki mahatwapurn bhoomika thi.
Lekin pratha shuru karanae se pahale mahila ke ling (yoni/choot)
Me gadhe ka ling (Lund) Pura dala jata that.
 
== प्राचीन सन्दर्भ ==
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ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के विरुद्ध समाज को जागरूक किया। जिसके फलस्वरूप इस आन्दोलन को बल मिला और तत्कालीन अंग्रेजी सरकार को सती प्रथा को रोकने के लिये कानून बनाने पर विवश होना पड़ा था। अन्तत: उन्होंने सन् 1829 में सती प्रथा रोकने का कानून पारित किया। इस प्रकार भारत से सती प्रथा का अन्त हो गया।
 
हैदरबाद के छठे [[निज़ाम]]- [[महबूब अली खान]] ने स्वयं 12 नवंबर,1876 को एक '''चेतावनी घोषणा''' जारी किया और कहा, अब यह सूचित किया गया है कि यदि भविष्य में कोई भी इस दिशा में कोई कार्रवाई करता है, तो उन्हें गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा। अगर तलुकादार, नवाब, जगदीड़, ज़मीनदार और अन्य इस मामले में लापरवाही और लापरवाही पाए जाते हैं, सरकार द्वारा उनके खिलाफ गंभीर कार्रवाई की जाएगी "1987<ref>{{Cite मेंweb|url=https://m.dailyhunt.in/news/india/english/deccan+chronicle-epaper-deccanch/letters+leave+a+rich+legacy+of+rulers-newsid-89750998|title=Letters दिवरालाleave गावa (सीकर)कीrich माँहनसिंहlegacy कीof पत्नीrulers|last=|first=|date=|website=| रूपकंवरlanguage अंतिम= सतीहुई थी उसके बाद 1988 में भारत सरकार ने सती प्रथा कानून बना दिया।en|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
 
== इन्हें भी देखें==