"अष्टांग योग": अवतरणों में अंतर
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(घ) '''ब्रह्मचर्य''' - दो अर्थ हैं:
(च) '''अपरिग्रह''' - आवश्यकता से अधिक संचय नहीं करना और दूसरों की वस्तुओं की इच्छा नहीं करना
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