"गढ़ कुंडार": अवतरणों में अंतर

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बुंदेलों का कहना है कि कुंडार का खंगार राजा हुरमतसिंह जबरदस्ती और पैशाचिक उपाय से बुंदेला-कुमारी का अपहरण युवराज नागदेव के लिए करना चाहता था। खंगार लोग अपने अंतिम दिवस में शराबी, शिथिल, क्रूर और राज्य के अयोग्य हो गए थे, इसलिए जान-बूझकर वे विवाह-प्रस्ताव की आग में शराब पीकर कूदे, और खुली लड़ाई में उनका अंत किया गया। एक कारण यह भी बतलाया जाता है कि खंगार राजा दिल्ली के मुसलमान राजाओं के मेली थे, इसलिए उनका पूर्ण संहार जरूरी हो गया था।
 
खंगार लोग और बात कहते हैं-वे अपने को क्षत्रिय कहते हैं, और कोई संदेह नहीं कि कुढार में उनका राज्य रहा है। वे यह भी कहते हैं कि क्षत्रिय राजाओं-सामंतों की कन्याएँ उनके यहाँ ब्याही जाती थीं।हैं। उपन्यास संबंधी प्रसंग के बारे में उनका कहना है कि बुंदेलों ने पहले तो लड़की देने का प्रस्ताव किया, फिर कपट करके, शराब पिलाकर और इस तरह अचेत करके खंगारों को जन-बच्चों सहित मार गिराया। वे लोग यह भी कहते हैं कि बुंदेले मुसलमानों को जुझौति में ले आए थे।
खंगारों का पिछला कथन इतिहास के बिलकुल विरुद्ध है, और युक्ति से असंभव जान पड़ता है, इसलिए कहानी-लेखकों तक को ग्राह्य नहीं हो सकता।