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सामा-चकेवा लोकनाट्य बिहार में प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी से पूर्णमासी तक किया जाता है।
'''सामा'''-'''चकेवा''' [[मिथिला]] में [[बहन]] के द्वारा [[भाई]] की मंगल कामना और उसका पौरूष गान परंपरागत स्वर से किया जाता है। जिसमें मिट्टी से अनेक प्रकार के मुर्तियों का निर्माण किया जाता है। और उसका स्वर से गुणगान किया जाता है। यह एक [[लोक नृत्य]] है।
 
इस लोकनाट्य में कुमारी कन्याओं के द्वारा अभिनय प्रस्तुत किया जाता है।
<!-- Commented out: [[चित्र:sama-chakewa.jpg|thumb|right|200px|<font color="green">सामा-चकेवा द्वारा बहन भाई की पौरूष गान करती है।</font>]] -->
अभिनय में 'सामा' अर्थात श्यामा तथा चकेवा की भूमिका निभायी जाती है।
 
सामूहिक रूप से गाए जाने वाले गीतों में प्रश्नों एवं उत्तरों के माध्यम से विषयवस्तु प्रस्तुत की जाती है।
[[श्रेणी:बिहार के त्योहार]]