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लोधी जाति का कुछ इतिहास
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05:51, 12 नवम्बर 2019 का अवतरण

लोध क्षत्रिय (लोधा,लोधी) लोध जाति एक भारत वर्ष की हिन्दू जाति है । जो वर्तमान समय में जाट वा सिक्खों के समान खेती करते है ।वैसे लोधी सभी राज्यों में निवास कर रहे हैं ।लोधी कुछ राज्यों में सामान्य वर्ग में (19 राज्यों में) कुछ राज्यों में पिछड़ी जाति में तथा कुछ ही राज्यों में आदिवासी जाति में आते है ।

लोध जाति सबसे अधिक संख्या में मध्य प्रदेश में पाए जाते है । ये भारत के मूलनिवासी माने जाते है ।वेदों में पुराणों में परशुराम संहिता में लोध शब्द को वीर वा पराक्रमी योद्धा के रूप में परिभाषित किया गया है । ये वेदों के आधार पर प्राचीन चंद्रवंशी क्षत्रिय माने जाते हैं । लोधियों कई लोधी राजा भी हुए हैं जिनका इतिहास आल्हा कांड प्रथ्वी राज रासो परमाल रासो में मिलता है रामगढ़ के लोधी राजयों का इतिहास 1857 की क्रांति में मिलता है वहीं हीरापुर के महाराजा हिरदेश शाह लोधी जी का इतिहास सन 1842 की क्रांति में मिलता है । बुंदेली उत्थान में भी लोधियों का अहम योगदान रहा है

इस प्रकार दांगी लोधी जाट गुर्जर और अहीर सभी पिछड़ी क्षत्रिय जाति मानी जाति है 

आज़ादी के समय भारत में लोधियों के 23 रजवाड़े थे कुछ रियासत और कई जागीदरी थीं ।