"नाई": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Boy meets barber.JPG|right|thumb|300px|बच्चे का बाल काटता नाई]]
नाई<ref>{{Cite book|title=|last=H.C,|first=Raychaudhuri|publisher=|year=(1988)|isbn=|location=|pages=}}</ref> शब्द कि उत्पत्ति "न्यायी" शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है , नेतृत्व और न्याय करने बाला । नाई जाति इच्छावाकु हैं और बहुत से इतिहासकारो के अनुसार इन्हें नंदबंशी कुल की जाति के रुप में जाना जाता है। इस जाति के अनेक सम्राट, राजा, मंत्री, योद्धा, बीर, रक्षक, अंगरंक्षक, पृसिध्द बैध्य ,त्रषि, संत, योगी, आचार्य, आदि त्रेष्ठ व्यक्ति रहे हैं। महापदम नंद और उनकी पहली पत्नी नागबंशी क्षत्रिय पत्नी की संताने नंद कहलायी और दूसरी पत्नी मुरा की संतान मोर्य के रूप मे जानी गयी। भारत में रहने बाले नाई "युगपुरूष चकृबर्ती सम्राट एकरात महाराज महापदम नंद थे। इसलिये दक्षिण भारत को छोड़कर भारत के अन्य भागों में रहने बाले सामुदाय मूलतः चंदृवंशीय क्षत्रिय (नंद) हैं। मगध पर शक्तिशाली नंद राज वंश का शासन था। जो अपने बाहुबल ,पराक्रम, राजनीतिक ,बिस्तारबादी नीति से मगध को समृद्ध राज्य मे परिबर्तित कर रहा था। महापदम नंद ने अपनी नीति से सभी 16 जनपदो को बाधित करके भारत पर नंद बंश का शासन स्थापित किया।
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