"पोंगल": अवतरणों में अंतर
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दूसरीपोंगल को सूर्य पोंगल कहते हैं। यह भगवान सूर्य को निवेदित होता है। इसदिन पोंगल नामक एक विशेष प्रकार की खीर बनाई जाती है जो मिट्टी के बर्तनमें नये धान से तैयार चावलमूंग दाल और गुड से बनती है। पोंगल तैयार होनेके बाद सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है और उन्हें प्रसाद रूप में यहपोंगल व गन्ना अर्पण किया जाता है और फसल देने के लिए कृतज्ञता व्यक्त कीजाती है। तीसरे पोंगल को मट्टू पोगल कहा जाता है।
तमिल मान्यताओं के अनुसार मट्टू भगवान शंकर काबैल है जिसे एक भूल के कारण भगवान शंकर ने पृथ्वी पर रहकर मानव के लिएअन्न पैदा करने के लिए कहा और तब से पृथ्वी पर रहकर कृषि कार्य में मानवकी सहायता कर रहा है। इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान कराते हैंउनकेसिंगों में तेल लगाते हैं एवं अन्य प्रकार से बैलों को सजाते है। बालों
चारदिनों के इस त्यौहार के अंतिम दिन कन्या पोंगल मनाया जाताहै जिसे तिरूवल्लूर के नाम से भी लोग पुकारते हैं। इस दिन घर को सजायाजाता है। आम के पलल्व और नारियल के पत्ते से दरवाजे पर तोरण बनाया जाताहै। महिलाएं इस दिन घर के मुख्य द्वारा पर कोलम यानी रंगोली बनाती हैं। इसदिन पोंगल बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता हैलोग नये वस्त्र पहनते हैऔर दूसरे के यहां पोंगल और मिठाई वयना के तौर पर भेजते हैं। इस पोंगल केदिन ही बैलों की लड़ाई होती है जो काफी प्रसिद्ध है। रात्रि के समय लोगसामुदिक भो का आयोजन करते हैं और एक दूसरे को मंगलमय वर्ष की शुभकामना देते हैं।
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