"उत्सर्जन तन्त्र": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Sistemaurinario.png|right|thumb|300px|मानव की मूत्र प्रणाली, उत्सर्जन तन्त्र का महत्वपूर्ण भाग है।]]
'''उत्सर्जन तन्त्र''' अथवा '''मलोत्सर्ग प्रणाली''' एक जैविक प्रणाली है जो जीवों के भीतर से अतिरिक्त, अनावश्यक या खतरनाक पदार्थों को हटाती है, ताकि जीव के भीतर होमीयोस्टेसिस को बनाए रखने में मदद मिल सके और शरीर के नुकसान को रोका जा सके।
शरीर में [[कार्बोहाइड्रेट]] तथा [[वसा]] के [[उपापचय]] से [[कार्बन डाइऑक्साइड]] तथा जलवाष्प का निर्माण होता है। [[प्रोटीन]] के उपापचय से नाइट्रोजन जैसे उत्सर्जी पदार्थों का निर्माण होता है। जैसे-अमोनिया यूरिया तथा यूरिक अम्ल।।
कार्बन डाइऑक्साइड जैसी उत्सर्जी पदार्थों को फेफड़ों के द्वारा शरीर से बाहर निकाला जाता है। सोडियम क्लोराइड जैसे उत्सर्जी पदार्थों को त्वचा द्वारा शरीर से बाहर निकाले जाते हैं। यूरिया जैसे उत्सर्जी पदार्थ वृक्क के द्वारा शरीर से बाहर निकाले जाते हैं। चूंकि इसमें कई ऐसे कार्य शामिल हैं जो एक दूसरे से केवल ऊपरी तौर पर संबंधित हैं, इसका उपयोग आमतौर पर शरीर रचना या प्रकार्य के और अधिक औपचारिक वर्गीकरण में नहीं किया जाता है।
== मलोत्सर्ग प्रकार्य ==
जीव के चयापचय और तरल विषैले अपशिष्ट को और साथ ही अतिरिक्त [[जल]] को निकालता है।
प्रत्येक गुर्दे के भीतर अनुमानित दस लाख सूक्ष्म नेफ्रॉन होते हैं। खून का छनन इन क्षेत्रों के भीतर ही होता है। प्रत्येक नेफ्रॉन में वाहिकाओं का एक गुच्छा होता है जिसे ग्लोमेर्युल्स कहते हैं। एक कप के आकार की थैली प्रत्येक ग्लोमेर्युल्स को घेरे रहती है जिसे बोमैंस कैप्सूल कहते हैं। जो रक्त, ग्लोमेर्युल्स के माध्यम से बहते हैं वे बहुत दबाव में होते हैं। इसी वजह से बोमैंस कैप्सूल में ग्लोमेर्युल्स, पानी, ग्लूकोज और यूरिया प्रवेश कर जाती है। रक्त में सफेद रक्त कोशिकाएं, लाल रक्त कोशिकाएं और प्रोटीन रहते हैं। जैसे-जैसे रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रक्त का बहाव जारी रहता है, वह गुर्दे की छोटी नली के आसपास लिपट जाता है। इस दौरान, पुनः अवचूषण होता है। ग्लूकोज और रसायन, जैसे पोटेशियम, सोडियम, हाइड्रोजन मैग्नीशियम और कैल्शियम रक्त में पुनः अवचूषित हो जाते हैं। निस्पंदन के दौरान हटाया गया लगभग पूरा पानी पुनः अवचूषण चरण के दौरान रक्त में वापस लौट आता है। गुर्दे हमारे शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा को नियंत्रित करते हैं। अब नेफ्रॉन में केवल अपशिष्ट बच जाता है। इस अपशिष्ट को मूत्र कहा जाता है इसमें यूरिया, पानी और अकार्बनिक लवण होते हैं। शुद्ध रक्त उन नसों में चला जाता है जो रक्त को गुर्दे से वापस दिल में लेकर जाते हैं।
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जीवों के फेफड़े और [[क्लोम|गिल]], श्वसन के नियमित हिस्से के रूप में लगातार रक्त से गैसीय अपशिष्ट को निकालते रहते हैं।
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मनुष्य व अन्य स्तनधारियों में मुख्य उत्सर्जी अंग एक छोटा वृक्क है जिसका वजन 140 ग्राम होता है इसके 2 भाग होते हैं बाहरी भाग को कोर्टेक्स और भीतरी भाग को मेडुला कहते हैं प्रत्येक वर्क लगभग वर्क नलिकाओं से मिलकर बना होता है जिन्हें नेफ्रॉन कहते हैं वृक्काणु या नेफ्रोन (nephron) क्क की उत्सर्जन इकाई है। नेफ्रॉन ही वृक्क की कार्यात्मक इकाई है नेफ्रान में मूत्र(Urine) का निर्माण होता हैं वृक्काणु के प्रमुख भाग है:- बोमेन संपुट तथा ग्लोमेरुलस व वृक्क नलिका। प्रत्येक नेफ्रॉन में एक छोटी प्याली नुमा रचना होती है उसे बोमेन संपुट कहते हैं बोमेन संपुट में पतली रुधिर कोशिकाओं का कोशिकागुच्छ पाया जाता है जो निम्न दो प्रकार की धमनियों से बनता हैः
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