"कालिदास": अवतरणों में अंतर
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== काव्य सौन्दर्य ==
'''{{मुख्य|कालिदास का काव्य सौन्दर्य}}'''
कालिदास को कविकुलगुरु, कनिष्ठिकाधिष्ठित और कविताकामिनीविलास जैसी
=== भाषागत विशिष्टताएँ ===
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अर्थात् ''स्वयंवर में बारी-बारी से प्रत्येक राजा के सामने गमन करती हुई इन्दुमती राजाओं के सामने से चलती हुई दीपशिखा की तरह लग रही थी जिसके आगे बढ़ जाने पर राजाओं का मुख विवर्ण (
=== अभिव्यंजना ===
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कालिदास जी अपनी रचनाओं में अलंकार युक्त, सरल और मधुर भाषा का इस्तेमाल करते थे।
अपनी रचनाओं में श्रंगार रस का भी बखूबी वर्णन किया
[https://www.gyankidhaara.in/kalidas-biography-in-hindi/ कालिदास जी] के साहित्य में संगीत प्रमुख अंग रहा। संगीत के माध्यम से कवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में प्रकाश डाला।
कालिदास जी अपनी रचनाओं में आदर्शवादी परंपरा औऱ नैतिक मूल्यों का भी ध्यान रखते थे।
== आधुनिककाल में कालिदास ==
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