"कालिदास": अवतरणों में अंतर

→‎जीवन: Spelling mistakes and grammar
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 88:
== काव्य सौन्दर्य ==
'''{{मुख्य|कालिदास का काव्य सौन्दर्य}}'''
कालिदास को कविकुलगुरु, कनिष्ठिकाधिष्ठित और कविताकामिनीविलास जैसी प्रशंशात्मकप्रशंसात्मक उपाधियाँ प्रदान की गयी हैं जो उनके काव्यगत विशिष्टताओं से अभिभूत होकर ही दी गयी हैं। कालिदास के काव्य की विशिष्टताओं का वर्णन निम्नवत किया जा सकता है:
 
=== भाषागत विशिष्टताएँ ===
पंक्ति 104:
</center>
 
अर्थात् ''स्वयंवर में बारी-बारी से प्रत्येक राजा के सामने गमन करती हुई इन्दुमती राजाओं के सामने से चलती हुई दीपशिखा की तरह लग रही थी जिसके आगे बढ़ जाने पर राजाओं का मुख विवर्ण (रिजेक्टअस्वीकृत कर दिए जाने से अंधकारमय, मलिन) हो जाता था।''
 
=== अभिव्यंजना ===
पंक्ति 122:
 
कालिदास जी अपनी रचनाओं में अलंकार युक्त, सरल और मधुर भाषा का इस्तेमाल करते थे।
अपनी रचनाओं में श्रंगार रस का भी बखूबी वर्णन किया है।कालिदासहै। कालिदास जी ने अपनी रचनाओं में ऋतुओं की भी व्याख्या की है जो कि सराहनीय योग्य है।
[https://www.gyankidhaara.in/kalidas-biography-in-hindi/ कालिदास जी] के साहित्य में संगीत प्रमुख अंग रहा। संगीत के माध्यम से कवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में प्रकाश डाला।
कालिदास जी अपनी रचनाओं में आदर्शवादी परंपरा औऱ नैतिक मूल्यों का भी ध्यान रखते थे।
 
== आधुनिककाल में कालिदास ==