"विकासात्मक मनोविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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===शैशव===
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जन्म से पह्लेपहिले वर्ष तक बच्चा शिशु माना जाता है। ज़्यादा तर सारे नवजात शिशु अपना समय सोने मेमें निकाल देते है। शिशु दिन रात सोते है पर कुछ महीने गुज़र जाने के बाद शिशु आम तौरआमतौर पर प्रतिदिन सोता है। शैशव अनुभूति के ऊपर थोडी दृष्टि डालते है। शैशव अनुभूति का मतलब जो नवजात शिशु देख सकता, गंध, स्वाद और स्पर्श, सुन सकता हैं।
ज्यादा तर शिशुओ की दृष्टि वयस्क बच्चोबच्चों से खराब होती है।
 
शिशुओ की दृष्टि प्रारंभिक दौर मे धुँधली होती है पर समय के साथ सुधरने लगती है। छह महीने हो जाने के बाद शिशु की दृष्टि अच्छी हो जाती है।सुनवाईहै। सुनवाई दृष्टि के विपरीत, जन्म से पूर्व अच्छी तरह से विकसित है। शिशुओशिशु एक ध्यानि से आती दिशा को पता लगाने मेमें काफी अच्छे है और १८ महीने से उनके सुनने की क्षमता एक वयस्क के लगभग बराबर है। नवजात शिशु गंध और स्वाद वरीयताओ के साथ जन्म लेता है। शिशु अलग अभिव्यक्ति दिख्लातादिखलाता है जब उसको सुखद या अप्रिय गंध और स्वाद से प्रसतुतप्रस्तुत कराया जाता है।
 
स्पर्श और महसूस करना दोनो एसीएेसी समझ है जो पहले गर्भ मे विकसित हो जाती है।'''भाषा विकास''' नवजात शिशु मानव के सभी भाषाओं की लगभग सभी ध्वनियों भेदभाव करने की क्षमता के साथ पैदा होते है। छह महीने के आसपास के सारे शिशुओशिशु अपनी भाषा मेमें स्वनिम के बीच अंतर कर सकते है पर अलग भाषाओं मे स्वनिम के बीच अंतर नही कर सकते। इस अवस्था मे शिशु प्रलाप करना शुरू करते हुए स्वविम का उत्पादन करते है।
 
'''शिशु अनुभूति''' शिशु की अनुभूति को समझने के लिए '[[ज़ाँ प्याज़े]]' एक प्रसिद्ध नामक विकासात्मक मनोविज्ञानी ने अनुभूति विकास के सिदधांत लिखे है। पियाजे के अनुसार शिशुओ को दुनिया किकी समझ और अनुभूति मोटर विकास के द्वारा हो सकती है और इसी के साथ वस्तु को छूने या पकडने से शिशु को वस्तु के बारे मेमें पता चलता है। पियाजेट यएयह भी कहते है कि शिशुओशिशुओं को १८ सपताहसप्ताह से पहले वस्तुओवस्तुओं किकी कोई समझ नही होती बल्कि शिशु उस वस्तु को बार -बार देखने और समझने की कोशिश करता है।
 
[[File:Redheaded child mesmerized 2.jpg|thumb|Redheaded child mesmerized 2]]