"चम्बल नदी": अवतरणों में अंतर

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| name = चम्बल नदी
| other_name = चरमवाती
| image = Chambal River near Kota, Rajasthan.jpg
| image_caption = [[कोटा]], राजस्थान के पास चम्बल नदी।
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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2012}}
'''चंबल नदी''' [[मध्य भारत]] में [[यमुना नदी]] की [[सहायक नदी]] है। यह नदी "जानापाव पर्वत " [[महू]] से निकलती है। इसका प्राचीन नाम "चरमवाती " है। इसकी सहायक नदिया [[शिप्रा नदी|शिप्रा]], सिंध, [[काली सिन्ध नदी|काली सिन्ध]], ओर [[कुनू नदी]] है। यह नदी भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में [[राजस्थान]] के [[कोटा जिला|कोटा]] तथा [[धौलपुर के राजाखेडा जिला|धौलपुर]], [[मध्य प्रदेश]] के [[धार ज़िला|धार]], [[उज्जैन ज़िला|उज्जैन]], [[रतलाम ज़िला|रतलाम]], [[मंदसौर ज़िला|मन्दसौर]], [[भिंड ज़िला|भिंड]], [[मुरैना ज़िला|मुरैना]] आदि जिलो से होकर बहती है। यह नदी दक्षिण मुड़ कर [[उत्तर प्रदेश]] राज्य में [[यमुना नदी|यमुना]] में शामिल होने के पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है। इस नदी पर चार जल विधुत परियोजना -गांधी सागर, राणा सागर, जवाहर सागर और कोटा वेराज (कोटा)- चल रही है।{{Cn|date=नवम्बर 2019}} प्रसिद्ध ''चूलीय जल प्रपात''चंबल नदी (कोटा) मे है।
 
यह एक बारहमासी नदी है। इसका उद्गम स्थल जानापाव की पहाडी (मध्य प्रदेश) है।{{Cn|date=नवम्बर 2019}} यह दक्षिण में महू शहर के, इंदौर के पास, विंध्य रेंज में मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर गुजरती है। चंबल और उसकी सहायक नदियां उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के नाले, जबकि इसकी सहायक नदी, बनास, जो अरावली पर्वतों से शुरू होती है इसमें मिल जाती है। चंबल, कावेरी, यमुना, सिन्धु, पहुज भरेह के पास पचनदा में, उत्तर प्रदेश राज्य में भिंड और इटावा जिले की सीमा पर शामिल पांच नदियों के संगम समाप्त होता है।
 
== अपवाह क्षेत्र==
चंबल के अपवाह क्षेत्र में चितौड, कोटा, बूंदी, सवाई माधौपुर, करौली, धौलपुर इत्यादि इलाके शामिल हैं। तथा सवाई माधोपुर, करौली व धौलपुर से गुजरती हुई राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा बनाती हुए चलती है जो कि 252 किलोमीटर की है चम्बल,यमूना नदी की मुख्य सहायक नदी हैं ꫰ है।{{Cn|date=नवम्बर 2017}}
 
== सहायक नदियां ==
[[बनास नदी]], [[क्षिप्रा नदी]], शिवना, [[काली सिंध]], [[पार्वती नदी|पार्वती]], छोटी कालीसिंध, [[कुनू नदी|कुनो]], ब्राह्मणी, [[परवन नदी|परवन]] इत्यादि चम्बल की सहायक नदियाँ हैं।
 
== मुहाना ==
उत्तर प्रदेश में बहते हुए 965 किलोमीटर की दूरी तय करके यमुना नदी में मिल जाती है। चम्बल नदी का कुल अपवाह क्षेत्र 19,500 वर्ग किलोमीटर हैं।{{Cn|date=नवम्बर 2019}} चम्बल यमुना नदी की मुख्य सहायक नदियों में से एक हैं।
चम्बल नदी का कुल अपवाह क्षेत्र 19,500 वर्ग किलोमीटर हैं।
 
== ग्रन्थों के अनुसार ==
[[महाभारत]] के अनुसार राजा रंतिदेव के यज्ञों में जो आर्द्र चर्म राशि इकट्ठा हो गई थी उसी से यह नदी उदभुत हुई थी-
 
'''महानदी चर्मराशेरूत्क्लेदात् ससृजेयतःततश्चर्मण्वतीत्येवं विख्याता स महानदी'''।
 
कालिदास ने भी मेघदूत-पूर्वमेघ 47 में चर्मण्वती नदी को रंतिदेव की कीर्ति का मूर्त स्वरूप कहा गया है-
 
<poem>आराध्यैनं शदवनभवं देवमुल्लघिताध्वा,
सिद्धद्वन्द्वैर्जलकण भयाद्वीणिभिदैत्त मार्गः।
व्यालम्बेथास्सुरभितनयालंभजां मानयिष्यन्,
स्रोतो मूत्यभुवि परिणतां रंतिदेवस्य कीर्तिः'।कीर्तिः।</poem>
 
इन उल्लेखों से यह जान पड़ता है कि रंतिदेव ने चर्मवती के तट पर अनेक यज्ञ किए थे।
महाभारत में भी चर्मवती का उल्लेख है -
 
'''ततश्चर्मणवती कूले जंभकस्यात्मजं नृपं ददर्श वासुदेवेन शेषितं पूर्ववैरिणा'''<br>
'ततश्चर्मणवती कूले जंभकस्यात्मजं नृपं ददर्श वासुदेवेन शेषितं पूर्ववैरिणा' अर्थात इसके पश्चात सहदेव ने (दक्षिण दिशा की विजय यात्रा के प्रसंग में) चर्मण्वती के तट पर जंभक के पुत्र को देखा जिसे उसके पूर्व शत्रु वासुदेव ने जीवित छोड़ दिया था। सहदेव इसे युद्ध में हराकर दक्षिण की ओर अग्रसर हुए थे।
 
चर्मण्वती नदी को वन पर्व के तीर्थ यात्रा अनु पर्व में पुण्य नदी माना गया है -<br>
'''चर्मण्वती समासाद्य नियतों नियताशनः रंतिदेवाभ्यनुज्ञातमग्निष्टोमफलं लभेत्'''।
 
श्रीमदभागवत में चर्मवती का नर्मदा के साथ उल्लेख है -<br>
'''सुरसानर्मदा चर्मण्वती सिंधुरंधः'''
 
चंबल नदी, (राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर)
'ततश्चर्मणवती कूले जंभकस्यात्मजं नृपं ददर्श वासुदेवेन शेषितं पूर्ववैरिणा' अर्थात इसके पश्चात सहदेव ने (दक्षिण दिशा की विजय यात्रा के प्रसंग में) चर्मण्वती के तट पर जंभक के पुत्र को देखा जिसे उसके पूर्व शत्रु वासुदेव ने जीवित छोड़ दिया था। सहदेव इसे युद्ध में हराकर दक्षिण की ओर अग्रसर हुए थे।
चर्मण्वती नदी को वन पर्व के तीर्थ यात्रा अनु पर्व में पुण्य नदी माना गया है -
'चर्मण्वती समासाद्य नियतों नियताशनः रंतिदेवाभ्यनुज्ञातमग्निष्टोमफलं लभेत्'।
श्रीमदभागवत में चर्मवती का नर्मदा के साथ उल्लेख है -
'सुरसानर्मदा चर्मण्वती सिंधुरंधः'
इस नदी का उदगम जनपव की पहाड़ियों से हुआ है। यहीं से गंभीरा नदी भी निकलती है। यह यमुना की सहायक नदी है।
महाभारत में अश्वनदी का चर्मण्वती में, चर्मण्वती का यमुना में और यमुना का गंगा नदी में मिलने का उल्लेख है –
<poem>मंजूषात्वश्वनद्याः सा ययौ चर्मण्वती नदीम्,
चर्मण्वत्याश्व यमुना ततो गंगा जगामह।
गंगायाः सूतविषये चंपामनुययौपुरीम्'।चंपामनुययौपुरीम्।</poem>
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
{{भूगोल-आधार}}