"प्रकाशिकी": अवतरणों में अंतर
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प्रकाशिकी का दूसरा खंड '''[[भौतिक प्रकाशिकी]]''' है। इसमें प्रकाश की मूल प्रकृति तथा प्रकाश और द्रव्य की पारस्परिक क्रिया का अध्ययन किया जाता है। प्रकाश सूक्ष्म कणों का संचार है, ऐसा मानकर [[न्यूटन]] ने ज्यामितीय प्रकाशिकी के मुख्य परिणामों की व्याख्या की। पर 19वीं शताब्दी में प्रकाश के [[व्यतिकरण]] की घटनाओं का आविष्कार हुआ। इन क्रियाओं की व्याख्या कणिका सिद्धांत से संभव नहीं है, अत: बाध्य होकर यह मानना पड़ा कि प्रकाश तरंगसंचार ही है। ऊपर वर्णित [[मैक्सवेल]] के विद्युतचुंबकीय सिद्धांत ने प्रकाश के तरंग सिद्धांत को ठोस आधार दिया।
भौतिक प्रकाशिकी का एक महत्वपूर्ण भाग [[स्पेक्ट्रामिकी (
== इन्हें भी देखें ==
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