"सम आयन प्रभाव": अवतरणों में अंतर

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जब किसी [[विलयन]] में उपस्थित किसी [[आयन]] की मात्रा बढायी जाती है तो [[ला-शातैलिए का नियम‎|ला शातैलिए के सिद्धान्त]] के अनुसार उस विलयन में उपस्थित 'अतिरिक्त' आयन अपने से विपरीत आवेश वाले आयनों से संयुक्त हो जाते हैं ताकि [[आयनिक गुणफल]] का मान उत्पाद के [[विलेयता गुणफल]] के बराबर बना रहे। इसे ही '''सम आयन प्रभाव''' या '''उभयनिष्‍ठ आयन प्रभाव''' (common ion effect) कहते हैं।
 
उदाहरण के लिये, [[कैल्सियम कार्बोनेट]] युक्त [[कठोर जल]] में [[सोडियम कार्बोनेट]] की थोड़ी सी मात्रा मिलाने पर कैल्सियम कार्बोनेट अवक्षेपित होकर नीचे बैठ जाता है। यह सम आयन प्रभाव के कारण होता है। यहाँ ध्यान देने योग्य है कि सोडियम कार्बोनेट अत्यन्त घुलनशील है जबकि कैल्सियम कार्बोनेट कम घुलनशील। इस कारण कठोर जल में सोडियम कार्बोनेट की बहुत कम मात्रा मिलाने पर भी बहुत सारे कार्बोनेट आयन पैदा होते हैं जो कैल्सियम कार्बोनेट के वियोजन से पैदा हुए कार्बोनेट आयनों को संयुक्त होकर कैल्सियम कार्बोनेट के रूप में अवक्षेपित होने के लिये बाध्य करते हैं।