"हजारीप्रसाद द्विवेदी": अवतरणों में अंतर

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{{ज्ञानसन्दूक लेखक
| नाम name = हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
| चित्र image = [[File:Hazari Prasad Dwivedi 1997 stamp of India.jpg|thumb|Hazari Prasad Dwivedi 1997 stamp of India]]
| चित्र आकार image_size = 200px
| चित्र शीर्षक caption = हजारी प्रसादहज़ारीप्रसाद द्विवेदी
| birth_date = 19 अगस्त 1907
| उपनाम =
| जन्मस्थानbirth_place = आरत दुबे का छपरा (ओझवलिया) ग्राम [[बलिया]] [[भारत]]
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| विषय = निबन्ध, आलोचना और उपन्यास[[भारतीय स्वाधीनता आंदोलन]] <br>से प्रेरित देशप्रेम -->
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| टीका-टिप्पणी =
| मुख्य काम = कबीर, सूरदास
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'''हजारीप्रसाद द्विवेदी''' (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) [[हिन्दी]] [[निबन्ध]]कार, [[आलोचक]] और [[उपन्यास]]कार थे।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 तदनुसार 19 अगस्त 1907 ई० को [[उत्तर प्रदेश]] के [[बलिया जिला|बलिया जिले]] के ''आरत दुबे का छपरा'', ओझवलिया नामक गाँव में हुआ था।<ref name="अ">हजारीप्रसाद द्विवेदी (विनिबन्ध), विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली, पुनर्मुद्रित संस्करण-2016, पृष्ठ-7.</ref> इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिष्मती था।<ref name="अ" /> इनका परिवार [[ज्योतिष]] विद्या के लिए प्रसिद्ध था। इनके पिता पं॰ अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।
 
द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई। उन्होंने 1920 में बसरिकापुर के मिडिल स्कूल से प्रथम श्रेणी में मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने गाँव के निकट ही पराशर ब्रह्मचर्य आश्रम में संस्कृत का अध्ययन प्रारंभ किया। सन् 1923 में वे विद्याध्ययन के लिए काशी आये।<ref>हजारीप्रसाद द्विवेदी (विनिबन्ध), पूर्ववत्, पृ०-10.</ref> वहाँ रणवीर संस्कृत पाठशाला, कमच्छा से प्रवेशिका परीक्षा प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान के साथ उत्तीर्ण की।<ref>व्योमकेश दरवेश, विश्वनाथ त्रिपाठी, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2012, पृष्ठ-35.</ref> 1927 में [[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]] से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसी वर्ष भगवती देवी से उनका विवाह सम्पन्न हुआ। 1929 में उन्होंने इंटरमीडिएट और संस्कृत साहित्य में शास्त्री की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1930 में ज्योतिष विषय में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। शास्त्री तथा आचार्य दोनों ही परीक्षाओं में उन्हें प्रथम श्रेणी प्राप्त हुई।<ref>हजारीप्रसाद द्विवेदी (विनिबन्ध), पूर्ववत्, पृ०-11.</ref> 8 नवम्बर 1930 से द्विवेदीजी ने [[शांति निकेतन]] में हिन्दी का अध्यापन प्रारम्भ किया। वहाँ गुरुदेव [[रवींद्रनाथ ठाकुर]] तथा आचार्य [[क्षितिमोहन सेन]] के प्रभाव से साहित्य का गहन अध्ययन किया तथा अपना स्वतंत्र लेखन भी व्यवस्थित रूप से आरंभ किया। बीस वर्षों तक शांतिनिकेतन में अध्यापन के उपरान्त द्विवेदीजी ने जुलाई 1950 में<ref>व्योमकेश दरवेश, विश्वनाथ त्रिपाठी, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2012, पृष्ठ-135.</ref><ref>दूसरी परम्परा की खोज, [[नामवर सिंह]], राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-1994, पृष्ठ-27.</ref><ref>हजारीप्रसाद द्विवेदी (विनिबन्ध), पूर्ववत्, पृ०-15-16.</ref> काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर और अध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। 1957 में राष्ट्रपति द्वारा '[[पद्मभूषण]]' की उपाधि से सम्मानित किये गये।<ref>हजारीप्रसाद द्विवेदी (विनिबन्ध), पूर्ववत्, पृ०-16.</ref>