"भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस": अवतरणों में अंतर

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'''स्थापना'''
[[चित्र:1st INC1885.jpg|thumb|right|250px| काँग्रेस की स्थापना के समय सन् 1885 का चित्र]]
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को [[मुंबई|बॉम्बे]] के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे जिन्होंने [[कोलकाता|कलकत्तेकलकता]] के व्योमेश चन्द्र बनर्जी को अध्यक्ष नियुक्त किया था। अपने शुरुआती दिनों में काँग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्ग की संस्था का था। इसके शुरुआती सदस्य मुख्य रूप से बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी से लियेलिए गये थे। काँग्रेस में [[स्वराज]] का लक्ष्य सबसे पहले [[बाल गंगाधर तिलक]] ने अपनाया था।<ref name="riddick2006">{{Citation | title=The history of British India: a chronology | author=John F. Riddick | year=2006 | publisher=Greenwood Publishing Group | isbn=0313322805 | url=http://books.google.com/?id=Es6x4u_g19UC}}</ref>
 
'''प्रारम्भिक वर्ष'''
 
1907 में काँग्रेस में दो दल बन चुके थे - गरम दल एवं [[नरम दल]]। गरम दल का नेतृत्व [[बाल गंगाधर तिलक]], [[लाला लाजपत राय]] एवं [[बिपिन चंद्र पाल]] (जिन्हें लाल-बाल-पाल भी कहा जाता है) कर रहे थे। नरम दल का नेतृत्व [[गोपाल कृष्ण गोखले]], [[फिरोजशाह मेहता]] एवं [[दादा भाई नौरोजी]] कर रहे थे। गरम दल पूर्ण स्वराज की माँग कर रहा था परन्तु नरम दल ब्रिटिश राज में स्वशासन चाहता था। [[प्रथम विश्व युद्ध]] के छिड़ने के बाद सन् 1916 की लखनऊ बैठक में दोनों दल फिर एक हो गये और [[होम रूलहोमरूल आंदोलन]] की शुरुआत हुई जिसके तहत [[ब्रिटिश राज]] में भारत के लिये [[स्वायत्त्योपनिवेश|अधिराजकिय पद]] (अर्थात डोमिनियन स्टेट्स) की माँग की गयी।
 
'''कांग्रेस एक जन आंदोलन के रूप में'''
 
परन्तु १९१५ में [[महात्मा गाँधी|गाँधी जी]] के भारत आगमन के साथ काँग्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया। चम्पारन एवं खेड़ा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन समर्थन से अपनी पहली सफलता मिली। १९१९ में [[जालियाँवाला बाग हत्याकांड]] के पश्चात गान्धीगॉधीजी काँग्रेस के महासचिव बने। उनके मार्गदर्शन में काँग्रेस कुलीन वर्गीय संस्था से बदलकर एक जनसमुदाय की संस्था बन गयी। तत्पश्चात् राष्ट्रीय नेताओं की एक नयी पीढ़ी आयी जिसमें [[सरदार वल्लभभाई पटेल]], [[जवाहरलाल नेहरू]], डॉक्टर [[राजेन्द्र प्रसाद]], [[महादेव देसाई]] एवं [[सुभाष चंद्र बोस]] आदि शामिल थे। गाँधी के नेतृत्व में प्रदेश काँग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ, काँग्रेस में सभी पदों के लिये चुनाव की शुरुआत हुई एवं कार्यवाहियों के लिये भारतीय भाषाओं का प्रयोग शुरू हुआ। काँग्रेस ने कई प्रान्तों में सामाजिक समस्याओं को हटाने के प्रयत्न किये जिनमें छुआछूत,पर्दाप्रथा पर्दा प्रथा एवं मद्यपान आदि शामिल थे।<ref name="test5">{{Cite web|url=https://books.google.co.in/books?id=LdvfAAAAMAAJ&hl=en|title=Indian National Congress: A Select Bibliography|first1=Manikrao Hodlya|last1=Gavit|first2=Attar|last2=Chand|date=1 मार्च 1989|publisher=U.D.H. Publishing House|accessdate=1 मार्च 2019|via=Google Books}}</ref>
 
राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए काँग्रेस को धन की कमी का सामना करना पड़ता था। गाँधीजी ने एक करोड़ रुपये से अधिक का धन जमा किया और इसे [[बाल गंगाधर तिलक]]के स्मरणार्थ तिलक स्वराज कोष का नाम दिया। ४ आना का नाममात्र सदस्यता शुल्क भी शुरू किया गया था।<ref>{{cite web|url=http://www.mkgandhi-sarvodaya.org/gphotgallery/1915-1932/pages/b1.htm |title=Headlines given in 'Bombay Chronicle' for his successful drive for the collection of one crore of rupees for The Tilak Swaraj Fund, 1921 |publisher=Bombay Chronicle |accessdate= ५ मई २०१७}}</ref><ref>{{cite book|url= https://books.google.co.in/books?id=Z0ydNvMbPI0C&pg=PA24&dq=tilak+swaraj+fund&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwi7x_j5r9_TAhXMvY8KHeInABkQ6AEIRzAH#v=onepage&q=tilak%20swaraj%20fund&f=false|title = What Congress & Gandhi Have done to the Untouchables |author=[[डाॅ. बाबासाहेब अम्बेडकर]] |publisher= Gautam Book Center|year= १९४५ |isbn=9788187733997 |accessdate= ५ मई २०१७ |Page= १९ | language = en |trans-title= कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के साथ क्या किया}}</ref>