अंत में वह दुःख का दिन आ गया। सन् 1886 ई. में श्रावणी पूर्णिमा के अगले दिन प्रतिपदा को प्रातःकाल उन्होंनेरामकृष्ण परमहंस ने देह त्याग दिया।<ref name=":0">{{Cite web|url=https://hindipath.com/ramkrishna-paramhans-biography-in-hindi/|title=रामकृष्ण परमहंस की जीवनी|last=शुक्ल|first=पण्डित विद्याभास्कर|date=|website=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref> 16 अगस्त का सवेरा होने के कुछ ही वक्त पहले आनन्दघन विग्रह श्रीरामकृष्ण इस नश्वर देह को त्याग कर महासमाधि द्वारा स्व-स्वरुप में लीन हो गये।
[[चित्र:Ramakrishna Marble Statue.jpg|thumb|right|[[ रामकृष्ण मिशन ]] का मुख्यालय [[ बेलूर मठ ]]में स्थित श्रीरामकृष्ण की मार्बल प्रतिमा]]