"निम्बार्काचार्य": अवतरणों में अंतर

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'''निम्बार्काचार्य''' [[भारत]] के प्रसिद्ध दार्शनिक थे जिन्होने [[द्वैताद्वैत]] का दर्शन प्रतिपादित किया। उनकाआधुनिक शोधों से इनका समय १३वींआदि शताब्दीशंकराचार्य मानाजी जातासे पूर्व सिद्ध होता है, अर्थात ईसापूर्व ५ वीं शती से है।पहले। किन्तु निम्बार्क सम्प्रदाय का मानना है कि निम्बार्क का प्रादुर्भाव ३०९६ ईसापूर्व (आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व) हुआ था। निम्बार्क का जन्मसथानजन्मस्थान वर्तमान [[आंध्र प्रदेशमहाराष्ट्र]] मेंके औरंगाबाद के निकट मूंगीपैठनमें है। वे [[सुदर्शन चक्र|श्रीसुदर्शन चक्र]] के [[अवतार]] हैं। नारद पञ्चरात्र में कहा है, [[शंख]] साक्षात् वासुदेव है, गदा संकर्षण रूप है, पद्म प्रद्युम्न और सुदर्शन अनिरुद्ध स्वरूप हैं।
: ''शङ्खः साक्षाद्वासुदेवो गदा सङ्कर्षणः स्वयम् ।
: ''वभूव पद्म प्रद्युम्नोऽनिरुद्धस्तु सुदर्शनः ॥