"निम्बार्काचार्य": अवतरणों में अंतर

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* प्रातःस्मरणस्तोत्रम् ।
 
निम्बार्क के इन्ही ग्रन्थों पर [[द्वैताद्वैत]] सम्प्रदाय की नींव स्थिर है। इन ग्रन्थों में से प्रतिपत्तिचिन्तामणि, गीतावाक्यार्थ, और सदाचारप्रकाश, प्रायः अनुपलब्ध हैं। 'प्रपत्तिचिन्तामणि' तथा 'सदाचार प्रकाश' - इन दो ग्रन्थों का उल्लेख 'वेदान्त-रत्न-मञ्जूषा' में श्री पुरूषोत्तम आचार्य ने किया है। डॉ. अमरप्रसाद भट्टाचार्य द्वारा लिखित "निम्बार्क ओ द्वैताद्वैत दर्शन" में प्रदत्त गुरुपरम्परा की तालिका में हंस भगवान से लेकर अब तक ५६ आचार्यों का उल्लेख किया है। इसी से द्वैताद्वैत परम्परा के समृद्ध इतिहास का अनुमान हो जाता है।
 
== इन्हें भी देखें==