"हिन्दू काल गणना": अवतरणों में अंतर

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(17) एक चतुर्युगी का दशांश को क्रमशः चार, तीन, दो और एक से गुणा करने पर कॄतयुग और अन्य युगों की अवधि मिलती है। इन सभी का छठा भाग इनकी उषा और संध्या होता है।
 
(18) इकहत्तर चतुर्युगी एक [[मन्वन्तर]] या एक मनु की आयु होतेहोती हैं। इसके अन्त पर संध्या होती है, जिसकी अवधि एक सतयुग के बराबर होती है और यह [[प्रलय]] होती है।
 
(19) एक [[कल्प]] में चौदह मन्वन्तर होते हैं, अपनी संध्याओं के साथ; प्रत्येक कल्प के आरम्भ में पंद्रहवीं संध्या/उषा होती है। यह भी सतयुग के बराबर ही होती है।