"मेघनाद": अवतरणों में अंतर

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== राम रावण युद्ध में योगदान ==
=== पहला दिन ===
[[कुंभकरण]] के अंत के बाद रावण के पास अब केवल एक उसका पुत्र इंद्रजीत ही रह गया था। उसने इंद्रजीत को आदेश दिया कि वह युद्ध की ओर कूच करे ।
 
 
[[File:Rama Lakshmana Nagapasha.jpg|thumb|250px| इंद्रजीत के नागपाश में बंधे हुए भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी]]
इंद्रजीत ने अपने पिता के आदेश पर सबसे पहले कुलदेवी माता निकुंभला का आशीर्वाद लिया और उसके उपरांत हुआ रणभूमि की ओर चल पड़ा। जैसे ही युद्ध आरंभ हुआ एक-एक करके सारे योद्धा इंद्रजीत के हाथों या तो वीरगति को प्राप्त हो गए, या तो भागने लगे, या तो पराजित हो गए । अंत में लक्ष्मण जी और इंद्रजीत के बीच द्वंद होने लगा । जब इंद्रजीत के सारे अस्त्र विफल हो गए तो उसने अदृश्य होकर पीछे से सारी [[वानर सेना]], भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी पर [[नागपाश]] का प्रयोग किया। इस पर भगवान श्री राम ने हनुमान जी को यह आदेश दिया कि वे तुरंत ही [[गरुड़]] जी को ले आए। हनुमान जी तुरंत ही गरुड़ जी को ले जाए और गरुड़ जी ने सभी को नागपाश के बंधन से मुक्त कर दिया।
 
=== दूसरा दिन ===