"अमर सिंह प्रथम": अवतरणों में अंतर

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| place of funeral= [[उदयपुर]], [[राजस्थान]]
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'''राणा अमर सिंह''' (1597 – 1620 ई० ) [[मेवाड]] के [[शिशोदिया राजवंश]] के शासक थे। वे [[महाराणा प्रताप]] के पुत्र तथा [[महाराणा उदयसिंह]] के पौत्र थे।<ref>{{cite book| last=Sharma|first=Sri Ram|title=Maharana Raj Singh and his Times| year=1971| isbn=8120823982| page=14}}</ref>
 
 
 
प्रारम्भ में मुगल सेना के आक्रमण न होने से अमर सिंह ने राज्य में सुव्यवस्था बनाया। मुगल सम्राट जहांगीर ने अपने बड़े बेटे शहजादे खुर्रम(शाहज़हां) को मेवाड के बचे कुचे हिस्से को मुगल सम्राज्य के अंतराल लाने के लिए भेजा। मुगल फौज को उदयपुर की ओर बढ़ता देख अमर सिंह ने मुगल अधीनता को स्वीकार लिया जिसके कारण बादशाह जहांगीर ने उन्हे चितौड़ भेट में दिया और उन्हें मेवाड का सूबेदार बना दिया। अमरसिंह मेवाड के अंतिम स्वतन्त्र शासक थे।
1622 में पिता से बगावत करके शहजादे खुर्रम कुछ दिन मेवाड रुके थे और इसी के चलते उनमें और अमरसिंह में गहरी दोस्ती भी हो गई थी। बाद में शहजादे के बादशाह बनने की जंग में अमरसिंह ने भी उनका साथ दिया था और मुगल सम्राट बनने के बाद शहंशाह शाहज़हां ने अपने मित्र अमर सिंह को दरबार में बहुत ऊंचा स्थान दिया था।