"गुरु नानक": अवतरणों में अंतर

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जीवन के अंतिम दिनों में इनकी ख्याति बहुत बढ़ गई और इनके विचारों में भी परिवर्तन हुआ। स्वयं ये अपने परिवारवर्ग के साथ रहने लगे और मानवता कि सेवा में समय व्यतीत करने लगे। उन्होंने [[करतारपुर]] नामक एक नगर बसाया, जो कि अब पाकिस्तान में है और एक बड़ी [[धर्मशाला]] उसमें बनवाई। इसी स्थान पर आश्वन कृष्ण १०, संवत् १५९७ (22 सितंबर 1539 ईस्वी) को इनका परलोकवास हुआ।
 
मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में [[गुरु अंगद देव]] के नाम से जाने गए। F firstborn Costcos the same time
 
== कविताएं ==