"क़ुरआन की आलोचना": अवतरणों में अंतर

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→‎गैर मुस्लिमों के लिए हिंसक: हमने इस्लाम के बारे में जो सुना है मौलाना से बस वही लिखा है। जो मौलाना लोग कहते हैं इस्लाम के बारे में बस वही है। और इस्लाम से कुछ मैंने प्रश्न किया है
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* जिन लोगों ने हमारी <nowiki>''आयतों'' का इन्कार किया, उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं''</nowiki> (4.46)
* <nowiki>''अल्लाह 'काफिर' लोगों को मार्ग नहीं दिखाता''</nowiki> (१०.९.३७ पृ. ३७४)
अगर इस्लाम शांति फैलाता और कुरान शांति का संदेश देता ,तो लोग कुरान पढ़ के आतंकवादी कैसे बनते हैं।
 
इस्लाम में शराब पीना हराम है ,लेकिन मौलाना बताते हैं कि जन्नत में अल्लाह अपने हाथों से शराब पिलाते हैं। भाई जब शराब हराम है तो अल्लाह पिलाता क्यों है।
 
कहा जाता है कि काफिरों का क़त्ल करो। अगर उस रास्ते में तुम्हारे जाते हो तो तुम्हें जन्नत मिलेगी ।और 72 हुरे मिलेंगी ,जो नग्न अवस्था में तुम्हें शराब पिलाएंगे। इसी चक्कर में लाखों मुसलमान मारे जाते हैं हर एक के लिए 72 पूरे आती कहां से होंगी।
 
मौलाना बोलते हैं कि अल्लाह का संदेशा आया है कि काफिरों का क़त्ल करो बलात्कार करो। नहीं समझ में आता अल्लाह उनको ही संदेश क्यों देते हैं, जो मानवता का दुश्मन है।
 
==कुरान में अवैज्ञानिकता==